कोरोना महामारी (Corona Pandemic) के बाद से कई राज्यों में स्कूलों को खोल दिया गया है हालांकि राजधानी दिल्ली में अभी भी नर्सरी से आठवीं तक के स्कूलों को खोलने (Reopening of Schools) के लिए कोई फैसला नहीं हुआ है. वहीं अब दिल्ली सरकार के एक और आदेश से यह साफ हो गया है कि दिवाली तक छोटे बच्चों के स्कूल नहीं खुलेंगे. साथ ही इन स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों को दशहरे से लेकर दिवाली के बाद तक होने वाले पर्यावरण प्रदूषण (Pollution) के नियंत्रण के लिए लगाया जाएगा. हालांकि स्कूल खुलने का इंतजार कर रहे अभिभावक (Parents) इसका विरोध जता रहे हैं.
ऐसे में दिल्ली में हर साल दम घोटने वाले प्रदूषण (Air Pollution) से निपटने के लिए दिल्ली सरकार के स्कूलों में पढ़ाने वाले पीआरटी, पीईटी और असिस्टेंट टीचर्स की नियुक्ति की गई है. हाल ही में आए आदेश में 10 शिक्षकों की पांच टीमें बनाई गई हैं. जिन्हें बारी-बारी से कंस्ट्रक्शन रोकने, डस्ट कंट्रोल (Dust Control) के अलावा प्रदूषण फैलाने के लिए होने वाली गतिविधियों जैसे प्लास्टिक जलाना (Plastic Burning), कचरे में आग लगाना या रबड़ आदि के सामान को जलाकर उससे प्रदूषण फैलने पर रोक लगानी होगी. इतना ही नहीं ये शिक्षक दिवाली (Diwali) तक पटाखों की बिक्री (Sale of Crackers) और खरीद पर भी नजर बनाकर रखेंगे.
दिल्ली सरकार के रोहिणी जिले में काम कर रहे एक पीआरटी शिक्षक ने बताया कि उसका नाम भी इन टीमों में शामिल किया गया है. अभी तक वह कोरोना के खिलाफ चल रहे अभियान में मास्क न पहनने पर चालान (Challan for not wearing Mask) काटने का काम कर रहे थे. अब वे प्रदूषण नियंत्रण (Pollution Control) की कमान संभालेंगे. सरकार की ओर से हर जिले में बनाई गई ये टीमें दिन रात काम करेंगी. तीन टीमें सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक प्रदूषण फैलाने की गतिविधियों को देखेंगी वहीं दो टीमें रात के 8 बजे से सुबह के 4 बजे तक कचरा या प्लास्टिक जलाने जैसी गतिविधियों को नियंत्रित करेंगी.
अभिभावक संघ कर रहा विरोध
छोटी कक्षाओं में पढ़ाने वाले शिक्षकों को स्कूल में पढ़ाने के बजाय इस प्रकार की गतिविधियों में लगाने का ऑल इंडिया पेरेंट्स एसोसिएशन (AIPA) ने विरोध जताया है. आईपा के अध्यक्ष एडवोकेट अशोक अग्रवाल का कहना है कि दिल्ली में छोटे बच्चों की शिक्षा के साथ खिलबाड़ हो रहा है. जबकि सभी चीजें, बाजार, गतिविधियां खुल चुकी हैं तो छोटे बच्चों के स्कूलों को खोलने के बजाय सरकार शिक्षकों की नियुक्ति इन कामों में कर रही है. इससे बच्चे बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं.
वे कहते हैं कि दिल्ली सरकार के करीब 40 हजार शिक्षक जबकि एमसीडी स्कूलों (MCD Schools) के करीब 10 हजार टीचर इन्हीं ड्यूटीज में लगे हुए हैं. सरकार गरीब बच्चों की पढ़ाई को लेकर बिल्कुल भी संवेदनशील नहीं है.