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आर्यन खान केस: NCB के दो ‘पंच’ गवाहों पर आखिर क्यों उठ रहे हैं सवाल?

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 बॉलीवुड सुपरस्टार शाहरुख़ ख़ान (Shahrukh Khan) के बेटे आर्यन ख़ान (Aryan Khan) को एक क्रूज पर कथित रेव पार्टी में गिरफ्तार किए जाने के मामले में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (Narcotics Control Bureau) की निष्पक्षता पर सवाल उठ रहे हैं. एनसीपी नेता नवाब मलिक (Nawab Malik) ने इस मामले में गिरफ्तार तीन लोगों को छोड़ने और केस के गवाहों को लेकर जांच एजेंसी की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं.

एनसीपी नेता नवाब मलिक ने दावा किया है कि इस मामले में एनसीबी के दो गवाह ठीक नहीं हैं. उन्‍होंने कहा है कि एक गवाह का राजनीतिक दल से संबंध है, जबकि दूसरा प्राइवेट डिटेक्टिव है और उसके खिलाफ़ धोखाधड़ी के मामले दर्ज हैं. मुंबई में एक प्रेस कॉन्‍फ्रेंस के दौरान एनसीपी नेता ने क्रूज छापे को फर्जी करार दिया है. मलिक का आरोप है कि आर्यन खान की गरफ्तारी के बाद जो तस्वीर वायरल हुई थी वो केपी गोसावी नाम के शख़्स ने ली थी. आर्यन खान के साथ हिरासत में गोसावी की सेल्‍फी वायरल होने के बाद जांच एजेंसी ने पहले कहा था कि उसका इस शख्‍स से कोई संबंध नहीं है, जबकि बाद में उसे ही गवाह बताया गया.

मलिक ने बताया कि आर्यन ख़ान के दोस्त अरबाज़ मर्चेंट के साथ एक वीडियो में हाथ पकड़े दिखाई दे रहा शख्‍स भारतीय जनता पार्टी का कार्यकर्ता मनीष भानुशाली है. मनीष की फेसबुक प्रोफाइल पर उसकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और कई वरिष्ठ बीजेपी नेताओं के साथ ली गई तस्वीरें मौजूद हैं. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक एनसीबी के डिप्टी डीजी ज्ञानेश्वर सिंह ने नवाब मलिक के आरोपों को ‘निराधार’ बताया है. ज्ञानेश्वर ने दावा किया कि दोनों व्यक्ति 10 स्वतंत्र गवाहों में से हैं, जिन्हें पंचनामा में पंच के रूप में इस्तेमाल किया गया है.

कौन होते हैं पंच और पंचनामा क्या है?
‘पंच’ आपराधिक जांच के दौरान अपराध स्थल पर की गई जांच या सामग्री की जब्ती आदि के सहायक साक्ष्य प्रदान करता है. ‘पंच’ पकड़े गए अभियुक्‍तों के सामने ही अपनी गवाही देते हैं, जिन्हें ‘पंच’ के रूप में भी जाना जाता है. ‘पंच’ पुलिस को मिली चीजों की पुष्टि करते हैं और पंचनामा पर हस्ताक्षर करते हैं. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक पंचों को आम तौर पर ‘स्वतंत्र’ गवाह माना जाता है, लेकिन कभी-कभी चल रहे छापे के दौरान ऐसे व्यक्तियों को ढूंढना मुश्किल हो जाता है. इसलिए कुछ मामलों में ‘पंच’ पुलिस के जानकार होते हैं (हालांकि ऐसा होना नहीं चाहिए).