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सपा और टीएमसी के बाद अब बिहार में आरजेडी से कांग्रेस की खींचतान….

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हाल ही में कांग्रेस और आरजेडी के रिश्ते में आई कड़वाहट के बाद गठबंधन को लेकर कांग्रेस के रवैये पर सवाल खड़े हो गए हैं. तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और सपा से कांग्रेस के रिश्ते पहले से ही खराब हैं. सवाल ये है कि एक के बाद एक सहयोगियों से खराब होते रिश्ते के बीच 2024 में मोदी से कैसे मुक़ाबला करेगी कांग्रेस?
राष्ट्रीय स्तर पर 2024 में मोदी का मुकाबला करने के लिए राहुल गांधी कभी विपक्षी नेताओं को ब्रेकफास्ट पर बुलाते हैं, तो कभी संसद में बैठक करते हैं, लेकिन एक के बाद एक सहयोगियों से रिश्ते लगातार खराब हो रहे हैं.

बिहार में कांग्रेस और आरजेडी भिड़े
सपा और टीएमसी के बाद अब बिहार में आरजेडी-कांग्रेस में ठन गई है. कांग्रेस और आरजेडी उपचुनाव में एक-दूसरे के ख़िलाफ़ खड़े हैं. दोनों दलों के नेता एक-दूसरे पर बयान की बौछार कर रहे हैं. भक्तचरण दास ने जब सीटों का समझौता न हो पाने पर तेजस्वी पर बीजेपी से मिले होने का आरोप लगा दिया तो तिलमिलाए लालू ने खुद मोर्चा संभाल लिया. भक्त चरण दास को भकचोंहर तक कह दिया. बेटे पर हमला हुआ तो लालू का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया.
कांग्रेस अपने बलबूते खड़े होने की फिराक में
दरअसल बिहार में कन्हैया के आ जाने के बाद कांग्रेस अपने बलबूते खड़े होने की फिराक में है. वैसे भी तेजस्वी और कन्हैया का छत्तीस का आंकड़ा है. पार्टी ने बदली रणनीति के तहत खुद को मजबूत करने का काम शुरू कर दिया है. कांग्रेस के महासचिव और वरिष्ठ नेता तारिक़ अनवर के बयान से साफ है कि कांग्रेस ने अपनी रणनीति बदल दी है. तारिक़ कहते हैं कि कांग्रेस को बिहार में बैसाखी के सहारे नहीं रहना है और सम्मानजनक रूप से ही कोई गठबंधन हो सकता है. भक्त चरण दास पर लालू के हमले पर भी कांग्रेस नाराज़ है.

क्या कांग्रेस 2024 की ज़मीन अभी से खोती जा रही है?
सवाल ये है कि हर प्रदेश में खुद अपने दम पर खड़े होने के चक्कर में क्या कांग्रेस 2024 की ज़मीन अभी से खोती जा रही है? हालांकि G-23 नेता यह मानने को तैयार नहीं हैं कि लालू यादव या उनकी पार्टी कभी भी बीजेपी से मिल सकती है. संदीप दीक्षित कहते हैं कि लालू हमेशा बीजेपी के खिलाफ रहे हैं इसलिए गठबंधन को लेकर नेतृत्व को फैसला लेना चाहिए न कि राज्य स्तर के नेता को.

हालांकि कांग्रेस को उम्मीद है कि 2024 में दोनों दल केंद्रीय स्तर पर साथ ही रहेंगे, लेकिन यूपी, बंगाल और अब बिहार में सहयोगी दलों के साथ कांग्रेस का तनाव इस हद तक बढ़ गया है कि 2024 की संभावना पर शंका के बादल मंडराने लगे हैं.हाल ही में कांग्रेस और आरजेडी के रिश्ते में आई कड़वाहट के बाद गठबंधन को लेकर कांग्रेस के रवैये पर सवाल खड़े हो गए हैं. तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और सपा से कांग्रेस के रिश्ते पहले से ही खराब हैं. सवाल ये है कि एक के बाद एक सहयोगियों से खराब होते रिश्ते के बीच 2024 में मोदी से कैसे मुक़ाबला करेगी कांग्रेस?
राष्ट्रीय स्तर पर 2024 में मोदी का मुकाबला करने के लिए राहुल गांधी कभी विपक्षी नेताओं को ब्रेकफास्ट पर बुलाते हैं, तो कभी संसद में बैठक करते हैं, लेकिन एक के बाद एक सहयोगियों से रिश्ते लगातार खराब हो रहे हैं.

बिहार में कांग्रेस और आरजेडी भिड़े
सपा और टीएमसी के बाद अब बिहार में आरजेडी-कांग्रेस में ठन गई है. कांग्रेस और आरजेडी उपचुनाव में एक-दूसरे के ख़िलाफ़ खड़े हैं. दोनों दलों के नेता एक-दूसरे पर बयान की बौछार कर रहे हैं. भक्तचरण दास ने जब सीटों का समझौता न हो पाने पर तेजस्वी पर बीजेपी से मिले होने का आरोप लगा दिया तो तिलमिलाए लालू ने खुद मोर्चा संभाल लिया. भक्त चरण दास को भकचोंहर तक कह दिया. बेटे पर हमला हुआ तो लालू का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया.
कांग्रेस अपने बलबूते खड़े होने की फिराक में
दरअसल बिहार में कन्हैया के आ जाने के बाद कांग्रेस अपने बलबूते खड़े होने की फिराक में है. वैसे भी तेजस्वी और कन्हैया का छत्तीस का आंकड़ा है. पार्टी ने बदली रणनीति के तहत खुद को मजबूत करने का काम शुरू कर दिया है. कांग्रेस के महासचिव और वरिष्ठ नेता तारिक़ अनवर के बयान से साफ है कि कांग्रेस ने अपनी रणनीति बदल दी है. तारिक़ कहते हैं कि कांग्रेस को बिहार में बैसाखी के सहारे नहीं रहना है और सम्मानजनक रूप से ही कोई गठबंधन हो सकता है. भक्त चरण दास पर लालू के हमले पर भी कांग्रेस नाराज़ है.

क्या कांग्रेस 2024 की ज़मीन अभी से खोती जा रही है?
सवाल ये है कि हर प्रदेश में खुद अपने दम पर खड़े होने के चक्कर में क्या कांग्रेस 2024 की ज़मीन अभी से खोती जा रही है? हालांकि G-23 नेता यह मानने को तैयार नहीं हैं कि लालू यादव या उनकी पार्टी कभी भी बीजेपी से मिल सकती है. संदीप दीक्षित कहते हैं कि लालू हमेशा बीजेपी के खिलाफ रहे हैं इसलिए गठबंधन को लेकर नेतृत्व को फैसला लेना चाहिए न कि राज्य स्तर के नेता को.

हालांकि कांग्रेस को उम्मीद है कि 2024 में दोनों दल केंद्रीय स्तर पर साथ ही रहेंगे, लेकिन यूपी, बंगाल और अब बिहार में सहयोगी दलों के साथ कांग्रेस का तनाव इस हद तक बढ़ गया है कि 2024 की संभावना पर शंका के बादल मंडराने लगे हैं.