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चीन को सबक सिखाने के लिए भारत अरुणाचल की सीमा पर बसा रहा 3 मॉडल विलेज, जानें क्‍यों है खास

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चीन (China) के बॉर्डर डिफेंस विलेज (Border Defense Village) के जवाब में भारत भी अब लाइन ऑफ एक्‍चुअल कंट्रोल (Line of Actual Control) पर अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) के हिस्‍से में तीन मॉडल विलेज बना रहा है. इन मॉडल विलेज में शानदार स्मार्ट क्लासरूम, आधुनिक स्वास्थ्य उपकेंद्र और एक मल्टी-स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स भी बनाया जा रहा है. अरुणाचल प्रदेश सरकार द्वारा विकसित किए जा रहे मॉडल गांवों को कुछ इस तरह से डिजाइन किया जा रहा है, जिससे यहां पर पर्यटन को भी बढ़ावा दिया जा सके. बता दें कि चीन ने तीन साल पहले ही अपने बॉर्डर के इलाकों में गांव बनाना शुरू कर दिया था. एलएसी के दूसरी तरफ चीन अब तक इस तरह के करीब 600 से ज्यादा इंफ्रास्ट्रक्चर बना चुका है, जिसे बॉर्डर डिफेंस विलेज कहते हैं. इनमें से करीब 400 बॉर्डर डिफेंस विलेज ईस्टर्न सेक्टर में हैं.

केंद्र और राज्य सरकार के सूत्रों ने News18 को बताया कि यह भी प्रस्तावित किया गया है कि किबिथू, काहो और मुसाई में स्थापित किए जाने वाले मॉडल गांवों में मजबूत डिजिटल और दूरसंचार कनेक्टिविटी हो. इसके साथ ही यहां पर कीवी, संतरे और अखरोट की खेती को बढ़ावा देने की भी तैयारी है. पर्यटन को आकर्षित करने के लिए 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान सैनिकों द्वारा इस्तेमाल किए गए बंकरों को एडवेंचर के लिए विकसित किया जाएगा. मुख्य रूप से मैदानी इलाकों में सीमावर्ती आबादी के बढ़ते प्रवास को कम करने के लिए सरकार ने ये पूरी तैयारी है. चीन की संसद ने पिछले शनिवार एक कानून पारित किया, जिसमें ये बताया गया कि सैन्य और स्थानीय अधिकारी भारत समेत 14 देशों के साथ साझा की गई देश की 22,000 किमी भूमि सीमा को कैसे गवर्न करेंगे और उसकी रक्षा करेंगे.
राज्य सरकार द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण से पता चलता है कि वर्तमान में काहो और मुसाई के प्राथमिक विद्यालयों में क्रमशः चार और 17 छात्र हैं, जबकि किबिथू के माध्यमिक विद्यालय में 25 से अधिक छात्र हैं. अध्ययन से यह भी पता चला कि स्थानीय लोग शिक्षा पर सबसे अधिक खर्च करते हैं और 90 प्रतिशत बच्चे जिले और राज्य के बाहर पढ़ रहे हैं. मॉडल ग्राम विकास के हिस्से के रूप में, काहो और मुसाई प्राथमिक विद्यालयों को किबिथू में एक के साथ विलय करने और इसे रोल मॉडल, बहुमंजिला आवासीय माध्यमिक विद्यालय के साथ एक शैक्षिक केंद्र के रूप में विकसित करने की योजना है.

यह प्रस्तावित किया गया है कि रोल मॉडल स्कूल में स्मार्ट क्लासरूम, छात्रावास के साथ लड़कों और लड़कियों के लिए अलग छात्रावास, शिक्षकों के आवासीय क्वार्टर, खेल का मैदान और एक बड़ा हॉल जैसी सुविधाएं होंगी. सूत्रों ने कहा कि चूंकि वालोंग, नामती, करोटी, डोंग और तिरप में कोई माध्यमिक विद्यालय नहीं है, इसलिए यह स्कूल इन जिलों के बच्चों की शिक्षा को पूरा कर सकता है.
कानून सिर्फ लैंड बॉर्डर के लिए
नेशनल पीपुल्स कांग्रेस (NPC) के ड्राफ्ट में साफ तौर पर कहा गया है कि यह कानून सिर्फ जमीनी सरहदों के लिए है. इसके मायने ये हुए कि भारत इससे प्रभावित हो सकता है, क्योंकि दोनों देशों के बीच मुख्य विवाद जमीनी सरहद को लेकर है. यही वजह है कि भारत ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी थी. कानून में यह भी कहा गया है कि सीमा सुरक्षा को मजबूत करने, आर्थिक एवं सामाजिक विकास में मदद देने, सीमावर्ती क्षेत्रों को खोलने, ऐसे क्षेत्रों में जनसेवा और बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने, उसे बढ़ावा देने और वहां के लोगों के जीवन एवं कार्य में मदद देने के लिए देश कदम उठा सकता है. कानून चीन की भूमि सीमाओं की सैन्य रक्षा के साथ जोड़ता है.

चीनी विदेश मंत्रालय ने भारत की चिंता पर दी सफाई
भारत की ओर से जताई गई चिंता को लेकर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता से सवाल किया गया तो प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा, ‘हमें उम्मीद है कि संबंधित देश चीन में कानून के बारे में अनुचित अटकलें लगाने से बच सकते हैं. इस कानून में अपने पड़ोसी देशों के साथ चीन के सहयोग और भूमि सीमा मुद्दों से निपटने पर स्पष्ट शर्तें हैं. ये चीन के मौजूदा सीमा संधियों के कार्यान्वयन को प्रभावित नहीं करेगा. साथ ही ये कानून पड़ोसी देशों के साथ हमारे सहयोग में मौजूदा अभ्यास को भी नहीं बदलेगा.’ हालांकि, चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि कानून सीमा मुद्दों पर चीन की स्थिति को नहीं बदलेगा.