यूके (यूनाइटेड किंगडम) सरकार ने भारत की बनी हुई वैक्सीन कोवैक्सिन (Covaxin) को अपनी सूची में शामिल करने की घोषणा कर दी है, अब 22 नंवबर से ऐसे अंतरराष्ट्रीय यात्री जिन्होंने कोवैक्सिन लगवा रखी है, वह भी यात्रा कर पाएंगे. यानी भारत बायोटेक की बनी वैक्सीन लगवाने के बाद इंग्लैंड पहुंचने पर अब खुद को अलग रखने (सेल्फ आइसोलेट) की ज़रूरत नहीं होगी. यह कदम विश्व स्वास्थ्य संगठन के कोवैक्सिन को आपातकालीन इस्तेमाल की सूची में डालने के बाद उठाया गया है. अमेरिका में भी कोविड के चलते 21 महीनों से लगा प्रतिबंध हट गया है ऐसे में वह भी कोवैक्सिन को अनुमति देगा, क्योंकि सभी एफडीए और विश्व स्वास्थ्य संगठन से अनुमति प्राप्त वैक्सीन अमेरिका में अधिकृत हैं.
कोवैक्सिन को कई देशों ने अनुमति दे दी है, लेकिन टीके को अनुमति मिलने के बावजूद कुछ देशों में सीधे यात्रा करना अभी चालू नहीं हुआ है. भारत सरकार ने कोविड के चलते अंतरराष्ट्रीय यात्री फ्लाइट को 30 नवंबर 2021 तक स्थगित किया हुआ है. केवल वही देश जिसके साथ भारत का एयर बबल करार हुआ है, वहीं पर सीधी फ्लाइट जा सकती है.
यूनाइटेड किंगडम
ब्रिटेन ने कहा है कि वह इस महीने के अंत तक विश्व स्वास्थ्य संगठन की आपातकालीन इस्तेमाल की सूची में शामिल वैक्सीन को अनुमित दे देगा, इससे चीन की सिनोवेक, सिनोफार्म और भारत की कोवैक्सिन को देश में आने वाले यात्रियों के अनुमोदित टीके की सूची में शामिल कर लिया जाएगा. ये बदलाव 22 नवंबर से लागू हो जाएगा. इससे भारत सहित मलेशिया यूनाइटेड अरब अमीरात के लोगों को राहत मिलेगी.
अमेरिका
अमेरिका ने हाल ही में 21 महीने से लगा कोविड प्रतिबंध हटाया है. देश अन्य वैक्सीन के साथ ही कोवैक्सिन को भी मंजूरी देगा.
स्विट्जरलैंड
स्विट्जरलैंड ने भी भारत आने वाले यात्रियों के लिए भारत बायोटेक की कोवैक्सिन को मंजूरी प्रदान की है.
ओमान
ओमान जाने वाले भारतीयों को अब कोवैक्सिन लेने के बाद 14 दिन के पृथकवास में नहीं रहना होगा. इससे पहले भारत से आने वाले सभी यात्रियों को जिन्होंने कोवैक्सिन के दोनों डोज लिए हुए हैं, उन्हें यात्रा से पहले 14 दिन पृथकवास में रहना ज़रूरी था, पहले ओमान में भारत से आने वाले वही यात्री जिन्हें कोविशील्ड लगा है, उन्हें इजाजत थी.
नेपाल
कोवैक्सिन लगवाने वालों के लिए नेपाल में वहीं नियम है जो फिलीपींस में है. भारत के नागरिकों को कोविड 19 वैक्सीन के आखरी डोज का प्रमाणपत्र दिखाना होता है. देश में प्रवेश से कम से कम 14 दिन पहले वैक्सीन लगी होना जरूरी है.
ईरान
ईरान भी उन देशों में शामिल है जिसने कोवैक्सिन लगवाने वाले भारतीयों को अपने देश में आने की इजाजत दी है.अगर आरटी पीसीआर का परिणाम उपलब्ध नहीं है तो व्यक्ति को 14 दिन के पृथकवास में रहना होता है.
श्रीलंका
कोवैक्सिन और कोविशील्ड दोनों ही वैक्सीन को यहां मंजूरी है. अगर किसी को वैक्सीन नहीं लगी है तो उसे 14 दिन के पृथकवास में रहना होता है.
इस्टोनिया
भारतीय नागरिकों ने अगर कोवैक्सिन लगवाया हुआ है तो उसे जांच की जरूरत नहीं होगी, यह उन पहले देशों में से है जिसने कोवैक्सिन को पहचान दी थी.
जिम्बाव्वे
भारतीय आगंतुकों को आरटी-पीसीआर की नेगेटिव रिपोर्ट दिखानी होगी, इसके अलावा कोविशील्ड और कोवैक्सिन दोनों को अफ्रीकी राष्ट्रों में अनुमति है.
गुआना
दक्षिण अमेरिकी देश गुआना ने भी कोवैक्सिन को यात्रा के लिए अनुमति दे दी है. इसके अलावा गुआना में एस्ट्राजेनका, स्पूतनिक, सिनोफार्म, सिनोवेक, जॉनजन एंड जॉनसन, फाइजर, और मॉडर्ना को भी इजाजत है.
पैराग्वे
अन्य दक्षिण अमेरिकी देशों में पैराग्वे ने भी कोवैक्सिन को अनुमति प्रदान की है लेकिन बावजूद इसके यहां सीधे यात्रा की अभी अनुमति नहीं मिली है.
ऑस्ट्रेलिया
ऑस्ट्रेलिया ने भी भारत बायोटेक की कोवैक्सिन को अनुमित दे दी है. हालांकि ऑस्ट्रेलिया का भारत के साथ एयर बबल करार नहीं हुआ है, इसलिए यहां भारत से सीधी फ्लाइट नहीं जा सकती है. ऑस्ट्रेलिया दुबई, अबुधाबी और टोक्यो एयरपोर्ट से होते हुए जाया जा सकता है, हालांकि इन तीनों ही देशों में कोवैक्सिन को अनुमति नहीं मिली है.
फिलीपींस
ऐसे यात्री जिन्हें कोवैक्सिन लगी है वो फिलीपींस जा सकते हैं. लेकिन यहां पर भी भारत से सीधी फ्लाइट चलना अभी शुरू नहीं हुआ है.
मेक्सिको
मेक्सिको के स्वास्थ्य नियामकों ने कोवैक्सिन के आपातकालीन इस्तेमाल के लिए सहमति तो दिखा दी है लेकिन यह देश भी उन 28 देशों में शामिल नहीं है जिसके साथ भारत का एयर बबल करार हुआ है.
मॉरिशस
मारिशस के साथ भी यही हाल है, यहां कोवैक्सिन को इजाजत तो है लेकिन इसके साथ भी भारत का एयर बबल करार नहीं होने की वजह से यहां सीधी फ्लाइट नहीं जा सकती है.
ग्रीस
भारतीय को ग्रीस जाने पर कोविड -19 वैक्सीन का प्रमाणपत्र और साथ में नेगेटिव आरटी-पीसीआर (72 घंटे से पहले) या एंटीजन रिपोर्ट (48 घंटे से पहले) दिखाना होगा. लेकिन यहां के लिए भी कोई सीधी फ्लाइट नहीं है और यात्रियों को यूरोप होकर जाना होता है. वर्तमान में किसी भी बड़े यूरोपीय देश ने कोवैक्सिन को अनुमति नहीं दी है.