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मलाला यूसुफजई के पति असर मलिक के बारे में क्या जानते हैं आप? पाकिस्तान क्रिकेट से है खास रिश्ता.

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नोबेल पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई (Malala Yousafzai) ने मंगलवार को ऐलान किया उन्होंने असर मलिक (Asser Malik) से निकाह किया. मलाला को साल 2014 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. उस वक्त वह केवल 17 साल की थीं. आइए हम आपको बताते हैं कि मलाला के पति कौन हैं और क्या करते हैं. एक ओर जहां मलाला दुनिया भर में एक्टिविस्ट के तौर पर जानी जाती हैं तो वहीं उनके पति खेल जगत में काम करते हैं. मलिक के लिंक्डइन पेज के अनुसार, वह पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (Pakistan Cricket Board-PCB) में हाई परफॉर्मेंस जनरल मैनेजर हैं. उन्होंने अपने इंस्टाग्राम पर अलग-अलग क्रिकेट आयोजनों की कई तस्वीरें भी शेयर की हैं.

ईएसपीएन क्रिकइन्फो के अनुसार पाकिस्तान के क्रिकेट बोर्ड के साथ काम करने से पहले असर ‘ प्लेयर मैनेजमेंट एजेंसी के प्रबंध निदेशक थे. वह एक क्रिकेट लीग लास्ट मैन स्टैंड में फ्रैंचाइजी के मालिक थे.’ असर ने कहा था कि उनका लक्ष्य है कि ‘पाकिस्तान में जमीनी स्तर पर क्रिकेट को पुनर्जीवित हो’ साथ ही शुरुआती स्तर पर ही खिलाड़ियों को अच्छे मौके मिले.
असर ने लाहौर यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है. लिंक्डइन पेज के अनुसार उन्होंने वह 2008 से 2012 तक वहां के छात्र थे. असर के मुताबिक उन्होंने अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान में डिग्री हासिल की. उन्होंने प्रोफाइल में इस बात का भी जिक्र किया है वह थिएटर प्रोडक्शंस करने वाले ड्रामालाइन के अध्यक्ष भी थे.

जुलाई में मलाला ने कहा था- यकीन नहीं कि करूंगी निकाह
ब्रिटेन में रह रहीं मलाला ने मंगलवार को कहा कि उन्होंने असर से बर्मिंघम शहर में निकाह किया. मलाला के अनुसार यह कार्यक्रम में परिजन शामिल थे. चार तस्वीरों के साथ मलाला ने ट्वीट किया ‘आज मेरी जिन्दगी का अनमोल दिन है. असर और मेरा आज निकाह हुआ.’
मलाला को लड़कियों और महिलाओं के अधिकारों की वकालत करने के लिए सम्मानित किया जाता है. हालांकि पाकिस्तान में उनकी सक्रियता पर लोगों की अलग-अलग राय है.
इस साल जुलाई में मलाला ने ब्रिटिश पत्रिका से कहा था कि उन्हें लगता नहीं कि वह कभी निकाह करेंगी. पत्रिका में मलाला के हवाले से कहा गया था -‘मुझे अभी भी समझ नहीं आया कि लोगों को निकाह क्यों करना पड़ता है. अगर आप अपनी जिन्दगी में एक व्यक्ति चाहते हैं, तो आपको निकाहनामे पर दस्तखत करने की क्या जरूरत है. यह सिर्फ साझेदारी क्यों नहीं हो सकती?’ उस समय पाकिस्तान में कई सोशल मीडिया यूजर्स ने इस टिप्पणी की आलोचना की थी.