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सुप्रीम कोर्ट की समिति के सदस्य अनिल घनवट का CJI को पत्र, कहा- सार्वजनिक की जाए कृषि कानूनों पर रिपोर्ट

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केंद्र सरकार की ओर से तीन कृषि कानूनों (Three Farm Laws) को वापस लिए जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त किए गए पैनल के सदस्य असंतुष्ट नजर आ रहे हैं. उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त समिति के सदस्यों में से एक अनिल घनवट (SC Panel Member Anil Ghanwat) ने मंगलवार को भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना को एक पत्र लिखा है. इस पत्र में उन्होंने तीन कृषि कानूनों पर रिपोर्ट को जल्द से जल्द सार्वजनिक करने पर विचार करने या समिति को ऐसा करने के लिए अधिकृत करने का आग्रह किया है.

शेतकरी संगठन के वरिष्ठ नेता घनवट ने कहा कि वह अगले कुछ महीनों में एक लाख किसानों को गोलबंद करेंगे और कृषि सुधार की मांग को लेकर उन्हें दिल्ली लाएंगे. प्रधान न्यायाधीश को 23 नवंबर को लिखे पत्र में घनवट ने कहा कि संसद के आगामी शीतकालीन सत्र (Parliament Winter Session) में तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के सरकार के फैसले के बाद समिति की रिपोर्ट ‘‘अब प्रासंगिक नहीं है.’’ हालांकि उनका मानना है कि सिफारिशें व्यापक जनहित की हैं. घनवट का मानना है कि ये रिपोर्ट उन किसानों को सही रास्ता दिखा सकती है जिन्हें गुमराह किया गया है.

घनवट ने अपने पत्र में कहा है, ‘‘रिपोर्ट एक शैक्षिक भूमिका भी निभा सकती है और कई किसानों की गलतफहमी को कम कर सकती है, जो मेरी राय में, कुछ नेताओं द्वारा गुमराह किए गए हैं….’’ तीन सदस्यीय समिति ने 19 मार्च को शीर्ष अदालत को रिपोर्ट सौंप दी थी, लेकिन रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया है.

रिपोर्ट को लेकर घनवट ने किया था ये खुलासा
इससे एक दिन पहले घनवट ने इस रिपोर्ट के बारे में न्यूज एजेंसी पीटीआई-भाषा को बताया था कि यह रिपोर्ट गोपनीय दस्तावेज हैं हालांकि इसमें कृषि कानूनों में शामिल किये गए विवाद निवारण प्रणाली के संबंध में राजस्व अदालत को अधिकार दिये जाने के संबंध में भी सिफारिश की गयी है.

घनवट ने कहा कि समिति ने किसानों की शिकायतों एवं विवादों के निपटारे के लिये न्यायाधिकरण या परिवार अदालत की तर्ज पर एक व्यवस्था तैयार करने का सुझाव दिया है जहां सिर्फ किसानों से जुड़े मुद्दों की ही सुनवाई हो. हमने मंडी से संबंध में उपकर को लेकर भी सुझाव दिये हैं कि उपकर किससे लेना है. इसके अलावा एपीएमसी को लेकर भी कुछ सुझाव दिये हैं जहां हमारा मानना है कि प्रत्येक राज्य की परिस्थितियां और उपज भिन्न-भिन्न होती हैं. इसके अलावा वैकल्पिक फसल के संबंध में भी सुझाव दिये हैं.