सभी निजी क्रिप्टोकरेंसी (Private Cryptocurrency) पर प्रतिबंध लगाने के सरकार के प्रस्तावित कदम पर बहस छिड़ने के बाद भारत की शीर्ष जांच और खुफिया एजेंसियां डिजिटल मुद्राओं को लेकर नियम बनाने पर विचार कर रही हैं. अधिकारियों का कहना है कि लेनदेन की गुमनाम प्रकृति के कारण बड़े पैमाने पर इसके गलत इस्तेमाल और इस पर रोक लगाने में कठिनाइयां सामने आ सकती हैं.
क्रिप्टोकरेंसी एंड रेग्युलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल, 2021 (Cryptocurrency and Regulation of Official Digital Currency Bill, 2021) को संसद के आगामी शीत सत्र के लिए सूचीबद्ध किया गया है और आरबीआई द्वारा आधिकारिक डिजिटल मुद्रा की अनुमति देते हुए अंतर्निहित टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देने के लिए कुछ निजी क्रिप्टोकरेंसी को छोड़कर सभी पर प्रतिबंध लगाने का प्रयास किया गया है.
न्यूज18 से बात करते हुए, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB), राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA), प्रवर्तन निदेशालय, आयकर और अन्य जांच एजेंसियों के अधिकारियों ने कहा कि इसमें पहचान का जाहिर न होना सबसे बड़ा मुद्दा है जिनसे अपराधियों, ड्रग तस्करों और आतंकी संगठनों को मदद मिल सकती है.
लेन-देन करने वालों की जानकारियां जुटाना मुश्किल
एनसीबी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “किसी भी संदिग्ध लेनदेन के मामले में पूरी श्रृंखला और इसमें शामिल व्यक्तियों को जानना लगभग असंभव है. कोई एकीकृत क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज नहीं है और कोई नहीं जानता कि कौन इसे नियंत्रित करता है और सभी डेटा इकट्ठा करता है. क्रिप्टोकरेंसी से निपटने वाली कंपनियों की भी सीमित पहुंच होती है और वे केवाईसी के माध्यम से उपयोगकर्ताओं और लेनदेन के बारे में सीमित जानकारी रख पाती हैं.”
ये समस्या केवल भारत तक ही सीमित नहीं है, क्योंकि विश्व स्तर पर भी, कानून प्रवर्तन एजेंसियों को क्रिप्टोकरेंसी के आपराधिक उपयोग के बारे में चिंतित हैं. क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित मामलों की जांच के लिए आवश्यक जटिलता और विशेषज्ञता की गंभीरता को समझने के बाद, संयुक्त राज्य अमेरिका ने पिछले महीने एक राष्ट्रीय क्रिप्टोकरेंसी प्रवर्तन टीम (एनसीईटी) की घोषणा की. अमेरिकी सरकार ने कहा, “यह टीम क्रिप्टोकरेंसी के आपराधिक दुरुपयोग, विशेष रूप से इस वर्चुअल मुद्रा के आदान-प्रदान, मिश्रण और टम्बलिंग सेवाओं और मनी लॉन्ड्रिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के मामले में किए गए अपराधों की जटिल जांच और मुकदमे से निपटेगी.”
ट्रांजैक्शन तेज होने के चलते ट्रेस करना मुश्किल
ड्रग्स विरोधी कार्रवाई में सक्रिय रूप से शामिल पंजाब के पूर्व डीजीपी शशि कांत ने बताया, “वे (क्रिप्टोकरेंसी) आम तौर पर कई नेटवर्क के माध्यम से रूट की जाती हैं. इनका लेनदेन बहुत तेज होता है और अक्सर इसे ट्रेस करना मुश्किल होता है. यह निजी क्रिप्टोकरेंसी के बारे में ज्यादा सच है. क्रिप्टोग्राफी लेनदेन को सुरक्षित रखती है. उन्हें डार्क वेब पर सभी ई-कॉमर्स स्टोरफ्रंट पर स्वीकार किया जाता है. इसलिए, वे हवाला लेनदेन, मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फाइनेंसिंग के लिए काम में आती हैं.”