में विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) ने कहा कि भारत (India), रूस (Russia) और चीन (China) को आतंकवाद और नशीले पदार्थों की तस्करी जैसे मुद्दों से मिलकर लड़ना होगा. उन्होंने कहा कि इसमें हमें संयुक्त रूप से काम करने की जरूरत है. रूस, भारत और चीन के समूह के विदेश मंत्रियों की बैठक की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने अफगानिस्तान के हाल के घटना क्रम पर भी चिंता जताई.
विदेश मंत्री ने कहा कि भारत अफगानिस्तान में एक समावेशी सरकार के साथ-साथ एक प्रतिनिधि सरकार का समर्थन करता है. उन्होंने कहा कि हमें मिलकर यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि अफगानिस्तान की जनता को बिना किसी बाधा के मानवीय सहायता और राजनीतिक लाभ मिले. वर्चुअल रूप से आयोजित इस बैठक में अपनी प्रारंभिक टिप्पणी में, विदेश मंत्री जयशंकर ने बहुपक्षीय प्रणाली में सुधार का आह्वान किया ताकि संप्रभु समानता और अंतरराष्ट्रीय कानून के सम्मान के आधार पर दुनिया में एक संतुलन बना रहे.
सीमा विवाद के मुद्दे से बचे दोनों विदेश मंत्री
आरआईसी की 18वें दौर की बातचीत ऐसे समय पर हुई जब वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत और चीन के बीच तनाव की स्थिति बरकरार है. लद्दाख में उत्पन्न तनाव ने त्रिपक्षीय सहयोग को भी बहुत ज्यादा प्रभावित किया है. बैठक के दौरान विदेश मंत्री जयशंकर और उनके चीनी समकक्ष ने सीमा विवाद के किसी भी मुद्दे का उल्लेख नहीं किया. दोनों ही देशों ने कोविड-19 संकट की चुनौतियों से निपटने के लिए एक दूसरे के सहयोग की आवश्यकता की बात कही.
आरआईसी की बैठक में अफगानिस्तान के मुद्दे पर तीनों ही देशों ने खुलकर बात की. अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद वहां बदले हालातों को लेकर भारत चीन और रूस ने एक साथ मिलकर काम करने के संकेत दिए. बैठक की अध्यक्षता कर रहे जयशंकर ने कहा कि भारत अफगानिस्तान का एक लंबे समय से एक मजबूत पड़ोसी और भागीदार रहा है ऐसे में अब वहां के लोगों को जो हालात देखने पड़ रहे हैं भारत उनकी पीड़ा को लेकर काफी चिंतित है.