विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) ने नवंबर में अब तक भारतीय बाजारों में शुद्ध रूप से 5,319 करोड़ रुपये डाले हैं. पिछले एक पखवाड़े के दौरान भारतीय शेयर बाजारों में जारी ‘करेक्शन’ के बीच एफपीआई ने अपना निवेश बढ़ाया है. अक्टूबर में एफपीआई ने 12,437 करोड़ रुपये की शुद्ध बिकवाली की थी.
डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, 1 से 26 नवंबर के दौरान एफपीआई ने शेयरों में शुद्ध रूप से 1,400 करोड़ रुपये और ऋण या बांड बाजार में 3,919 करोड़ रुपये का निवेश किया. इस तरह उनका कुल शुद्ध निवेश 5,319 करोड़ रुपये रहा.
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज (Geojit Financial Services) के मुख्य निवेश रणनीतिकार वीके विजयकुमार ने कहा, ‘चूंकि एफपीआई के पास बड़ी मात्रा में बैंकों के शेयर हैं, तो ऐसे में उन्होंने बैकिंग सेक्टर में ही जमकर बिकवाली की. लगातार बिकवाली से मूल्यांकन की दृष्टि से बैंकों के शेयर निवेश का आकर्षक विकल्प बन चुके हैं.
क्या हो सकता है इसका असर
उन्होंने कहा कि 26 नवंबर को बाजारों में आई गिरावट की मुख्य वजह कोरोना वायरस का नया ‘स्ट्रेन’ है. मॉर्निंगस्टार इंडिया (Morningstar India) के एसोसिएट निदेशक-प्रबंधक (शोध) हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा, ‘हालिया गिरावट के बावजूद बाजार अभी ऊंचे स्तर पर है. ऐसे में FPIs संभवत: मुनाफा काट रहे हैं.
उन्होंने आगे कहा कि भारतीय डेट् मार्केट (Indian debt markets) में FPI का आने साप्ताहिक आधार पर ट्रेंड रिवर्सल का आदर्श बन गया है. FPIs जरूर कोरोना के नए वेरिएंट के फैलाव पर नजर रखे हुए हैं और वैश्विक ग्रोथ इसका असर दिख सकता है. चूंकि बाजार का मूल्यांकन काफी ऊंचा है, तो इस वजह से छोटे-छोटे अंतरालों के बाद प्रोफिट बुकिंग जारी रह सकती है.
कोटक सिक्योरिटीज़ के श्रीकांत चौहान, प्रमुख – इक्विटी रिसर्च (रिटेल) ने कहा कि फिलहाल FPI फ्लो का भविष्य बहुत स्थिर दिखाई नहीं देता, क्योंकि कुछ राज्यों में चुनाव हैं, ब्याज दरों में बढ़ोतरी और नए कोविड वेरिएंट के चलते कुछ प्रतिबंध भी लगने के आसार हैं.