कोरोना वायरस के नए वेरिएंट ‘ओमिक्रॉन’ (Coronavirus New Variant Omicron) को कोविड-19 के विभिन्न स्वरूपों में सबसे खतरनाक माना जा रहा है. हालांकि, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कहा कि अभी यह ‘स्पष्ट नहीं है’ कि क्या कोविड-19 का नया स्वरूप ‘ओमिक्रॉन’, डेल्टा वेरिएंट समेत अन्य स्वरूपों की तुलना में अधिक संक्रामक है और क्या यह अपेक्षाकृत अधिक गंभीर बीमारी का कारण है.
इस बीच, कई देशों में फैल रहे संभावित रूप से अधिक संक्रामक ‘ओमिक्रॉन’ पर बढ़ती चिंताओं के बीच भारत के शीर्ष बायोमेडिकल वैज्ञानिक डॉ. गगनदीप कांग ने उन वजहों को बताया है कि जिसकी वजह से कोरोना वायरस का नया स्ट्रेन ‘ओमिक्रॉन’ को लेकर चिंता करनी चाहिए. डॉ. कांग ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा कि अतीत में देखे गए किसी भी अन्य वेरिएंट की तुलना में ओमिक्रॉन में सबसे अधिक उत्परिवर्तन (Mutations) हैं.
‘ओमिक्रॉन’ को लेकर डॉ. गगनदीप कांग की पांच बेहद अहम बातें:
शीर्ष वैज्ञानिक ने कहा, “ओमिक्रॉन में कई म्यूटेशन हैं और वे वायरस की सतह के क्षेत्रों में स्थित हैं जो वायरस को मजबूत बनाने के लिए ज़िम्मेदार हैं. उन जगहों पर भी ये मौजूद है जहां एंटीबॉडी जुड़ते हैं. इसके अलावा उन क्षेत्रों में भी उत्परिवर्तन (Mutations) होते हैं जहां हम जानते हैं कि ‘टी’ कोशिकाएं’ वायरस के लिए प्रतिक्रिया करती हैं. और मॉडलिंग में अब तक के उत्परिवर्तन आधा दर्जन स्थानों पर हैं, लेकिन इन सबों का एक साथ आना बहुत ही चिंताजनक है क्योंकि हमारे पास बचाव के लिए निश्चित तौर पर अधिक तेजी से फैलने वाला और संभावित इम्यून सिस्टम है.”
कांग ने कहा, “अगर हम वायरस के ‘आर नॉट’ को देखें, तो वुहान में मिले कोरोना वेरिएंट में लगभग 2.5 का ‘आर नॉट’ था और डेल्टा (वेरिएंट) यह 6.5 और 8 के आसपास है. अनुमान है कि ओमिक्रॉन वेरिएंट संभावित रूप से कई डेल्टा स्वरूप हो. मुझे लगता है कि ऐसा होने की संभावना नहीं है, लेकिन संभावना है कि यह एक बहुत ही तेजी से फैलने वाला वेरिएंट है. उदाहरण के लिए, खसरा में 15 का ‘R naught’ होता है और यह हमारी जानकारी में सबसे संक्रामक वायरस है. ओमिक्रॉन वेरिएंट में यह कहीं 8 और 15 के बीच होना चाहिए. यदि यह 15 से अधिक है, तो यह एक ऐसा वायरस होने जा रहा है जो व्यावहारिक रूप से हर उस व्यक्ति को संक्रमित करेगा जो इसके संपर्क में आता है.” ‘R naught’ का अर्थ मोटे तौर पर संक्रमित प्रत्येक 1 व्यक्ति के लिए, उस व्यक्ति से संक्रमण प्राप्त करने वाले लोगों की संख्या से है.
डॉ. गगनदीप कांग ने कहा, “सौभाग्य से, भारत के लिहाज हमें एक छोटा सा फायदा है क्योंकि हमारे बहुत से लोग टीकाकरण से पहले ही संक्रमित हो गए थे और हम जानते हैं कि टीकाकरण और संक्रमण का संयोजन संभवतया प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune System) को काफी मजबूत बनाता है. इसलिए हम ‘ओमिक्रॉन’ के भारत में दाखिले के मद्देनजर थोड़े भाग्यशाली हो सकते हैं.”
उन्होंने कहा, “मैं उन लोगों के बारे में ज्यादा चिंतित नहीं हूं जो टीका लगाए जाने के बाद भी संक्रमित हो गए हैं. यह स्पष्ट रूप से वायरस के प्रसार के लिए महत्वपूर्ण है. अहम सवाल बीमारी को लेकर है, क्या वे लोग हैं जिन्हें पूरी तरह से टीका लगाया जा चुका है, क्या वे वायरस की वजह से बीमार हैं? अब तक हमारे पास वैक्सीनेटेड व्यक्तियों के जो आंकड़े हैं, उनसे ऐसा लगता है कि वे या तो बिना लक्षण वाले थे या फिर उन्हें हल्का संक्रमण था, लेकिन यह कुछ ऐसा है जिस पर हमें ध्यान देने की जरूरत है.”
शीर्ष बायोमेडिकल वैज्ञानिक ने कहा, “एक व्यक्ति से दूसरे में संक्रमण फैलने की तेज गति (Greater Transmissibility) का मतलब यह नहीं है कि संक्रमण अधिक गंभीर हो. हमारे पास कुछ सबसे अधिक ट्रांसमिसिबल वायरस मौजूद है जो कि गंभीर बीमारी का कारण नहीं बनते हैं. इसलिए यदि हम भाग्यशाली हैं, तो यह (ओमिक्रॉन) एक बहुत ही तेजी से फैलने वाला वायरस हो सकता है, लेकिन गंभीर नहीं. उदाहरण के लिए, H1N1 को देख सकते हैं जो बहुत ही संक्रामक वायरस है, लेकिन सौभाग्य से कई अन्य इन्फ्लूएंजा वायरस जितना गंभीर नहीं है.”