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MSP को लेकर देश में कितने जागरूक हैं किसान.

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देश की संसद ने सोमवार को तीनों कृषि कानून (New Farm Laws) को वापस लेने वाला बिल (Repeal Bill) पास कर दिया है. लेकिन इसके बावजूद अभी किसान संगठन अपना आंदोलन खत्म करने को तैयार नहीं हैं. प्रदर्शनरत किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP को कानूनी रूप देने की मांग कर रहे हैं. दरअसल किसानों के लिए MSP एक सुरक्षा कवच की तरह काम करता है. बीते वर्षों के दौरान सरकारों ने अब तक 23 फसलों की MSP तय की है. हालांकि इसके बावजूद ज्यादातर खरीदारी गेहूं और धान की ही होती रही है. अब जबकि किसान संगठन MSP को लेकर गारंटी मांग रहे हैं तब ये जानना दिलचस्प है कि देश के किसान इसे लेकर कितने जागरूक हैं.

टाइम्स ऑफ इंडिया के एक विश्लेषण के मुताबिक MSP को लेकर गन्ना और धान के किसान सबसे ज्यादा जागरूक हैं. विश्लेषण कहता है कि इन दोनों फसलों को हटा दें तो अन्य फसलों के किसानों को MSP के बारे में ज्यादा जानकारी ही नहीं है.

रागी की फसल पैदा करने वाले कुल 4.3 प्रतिशत किसानों को ही MSP के बारे में जानकारी है. वहीं नारियल की खेती के करने वाले कुल 11 प्रतिशत किसानों को इसके बारे में जानकारी है. रिपोर्ट के मुताबिक ज्वार की खेती करने वाले कुल 14.3 प्रतिशत किसान ही MSP के बारे में जानते हैं. यानी इन तीनों ही फसलों की खेती करने वाले किसानों का बड़ा हिस्सा न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था से नावाकिफ है.

खरीदारी और अन्य तकनीकी मसलों के बारे में जानकारी बेहद कम
वहीं MSP के बारे में जानकारी रखने वाले किसानों में भी इसकी खरीदारी और अन्य तकनीकी मसलों के बारे में जानकारी बेहद कम है. रिपोर्ट के मुताबिक न्यूनतम समर्थन मूल्य का सबसे ज्यादा लाभ सिर्फ दो फसलों के किसानों तक पहुंच पा रहा है.

इन फसलों पर MSP
जिन फसलों पर पर सरकार द्वारा एमएसपी दी जाती है उनकी बात करें तो इनकी संख्या कुल 23 है. जिसमें 7 अनाज ( धान, गेंहू, मक्का, बाजरा, ज्वार और रागी), 5 दलहन (चना, अरहर, मूंग, उड़द और मसूर), 7 तिलहन (सरसों, मूंगफली, सोयाबीन, सनफ्लॉवर, कुसुम, तिलस नाइजरसीड) और 4 व्यवसायिक फसल (गन्ना, कपास, कोपरा और कच्चा जूट) शामिल हैं.