मध्य प्रदेश में त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव का बिगुल बज चुका है. इस चुनाव में राज्य निर्वाचन आयोग 70 करोड़ से ज्यादा रुपये खर्च करेगा. हर ब्लॉक के जनप्रतिनिधि चुनने में राज्य निर्वाचन आयोग को औसतन 22.36 लाख रुपये खर्च करने होंगे. इन चुनावों में सबसे ज्यादा रुपये खरगोन, बालाघाट, सागर, सतना और रीवा के पंचायत चुनाव में खर्च होंगे, जबकि निवाड़ी, अलीराजपुर, उमरिया, हरदा और बुरहानपुर में चुनाव का खर्च सबसे कम होगा.
जानकारी के मुताबिक, मध्य प्रदेश में पंचायत में 2 करोड़ 2 लाख से अधिक मतदाता हैं. हर वोटर राज्य निर्वाचन आयोग करीब 35 रुपये खर्च करेगा. आयोग ने अकेले पेट्रोल और परिवहन पर 14 करोड़ रुपये के खर्च का अनुमान लगाया है. चुनाव में लगने वाले कर्मचारियों के मानदेय और सामग्री पर करीब 43.67 करोड़ रुपये खर्च होंगे. इसके अलावा मतदान कार्य, मतगणना में लगे कर्मचारियों को भोजन कराने में ही 7 करोड़ रुपए खर्च हो जाएंगे.
इन जिलों में ज्यादा खर्च
मध्य प्रदेश के पंचायत चुनाव के दौरान 6 जिलों में सबसे ज्यादा खर्च आएगा. धार, खरगोन, बालाघाट, सागर, सतना और रीवा में सबसे ज्यादा खर्च होगा. दरअसल, इन जिलों में ही सबसे ज्यादा देहाती इलाके, अतिसंवेदनशील और संवेदनशील मतदान केंद्र हैं. रीवा में पिछले पंचायत चुनाव में करीब ढाई करोड़ रुपये, धार में करीब सवा दो करोड़ रुपये, सतना में करीब 2.31 करोड़ रुपये, खरगोन में 2.5 करोड़ रुपये खर्च हुए. चुनाव में सबसे कम खर्च निवाड़ी, अलीराजपुर, हरदा, बुरहानपुर, उमरिया में होगा
कलेक्टर हर महीने चुनाव आयोग को देंगे खर्च की रिपोर्ट
राज्य निर्वाचन आयोग ने चुनाव की अधिसूचना जारी होने के साथ ही जिले के कलेक्टरों को बजट भी आवंटित कर दिया. आयोग ने कलेक्टरों को निर्देश दिए हैं कि जो राशि जिस काम के लिए दी गई है उसी के लिए खर्च करें. अगर किसी काम के लिए ज्यादा बजट चाहिए तो प्रस्ताव बनाकर भेजें. कलेक्टर चुनाव के दौरान हर महीने खर्च होने वाली राशि की रिपोर्ट राज्य निर्वाचन आयोग को देंगे.
बता दें, पंचायत चुनाव पर जबलपुर हाईकोर्ट ने रोक लगाने से इनकार कर दिया है. यानी साफ है कि तय अधिसूचना के मुताबिक ही मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव कराए जाएंगे. अदालत के फैसले के बाद अब याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने जा रहे हैं. मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने उन तमाम याचिकाओं की सुनवाई की जिस पर मध्यप्रदेश पंचायत निर्वाचन प्रक्रिया को चुनौती दी गई थी. अदालत में याचिकाकर्ताओं की ओर से पक्ष रखने वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक कृष्ण तन्खा ने पैरवी की और तमाम सिद्धांतों और न्याय दृष्टांतों का हवाला देते हुए लंबी बहस की. लेकिन हाईकोर्ट इन तमाम दलीलों को सुनने के बाद भी पंचायत चुनाव पर रोक लगाने पर राजी नहीं हुआ. किसी भी प्रकार की अंतरिम रोक लगाने से इनकार करते हुए हाईकोर्ट ने याचिका पर सरकार और निर्वाचन आयोग से जवाब जरूर तलब किया है.