झारखंड में इस साल भी सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले 6 लाख से ज्यादा छात्र साइकिल की सवारी नहीं कर पाएंगे. ये दूसरा साल है जब राज्य के सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों के बीच राज्य सरकार साइकल का वितरण नहीं कर पाई है. बिहार सरकार के कल्याण विभाग द्वारा क्लास 8 में पढ़ने वाले ST / SC / OBC और अल्पसंख्यक छात्रों को साइकिल देने का प्रावधान है, मगर कोरोना संक्रमण की वजह से वित्तीय वर्ष 2020-21 में साइकिल की राशि का वितरण नहीं हो सका, बाद में राज्य सरकार ने DBT की बजाय छात्रों को साइकिल खरीद कर देने का निर्णय लिया.
2021-22 में अब तक साइकिल खरीद के लिये टेंडर फाइनल नहीं हो सका है, यानी क्लास 8 और 9 के छात्रों को राज्य की हेमंत सोरेन सरकार साइकिल देने में असफल साबित हुई है. खूंटी जिला के तोरपा प्रखण्ड की छात्रा तिलानी बरजो, मगडली प्रधान और ज्योति बारजो सरकार की ओर से साइकिल नहीं मिलने से नाराज हैं. साइकिल होने से ना सिर्फ घर से स्कूल तक का सफर बल्कि वो घर से बाजार तक का भी सफर तय कर सकती थीं.
झारखंड में पहले भी स्कूली छात्रों को साइकिल देने का प्रावधान था फिर इसे बदलते हुए साइकिल का पैसा DBT के जरिये छात्रों के बैंक खाते में देने की शुरुआत हुई. वर्तमान राज्य की हेमंत सोरेन सरकार ने फिर से इसे बदलते हुए साइकिल खरीद का निर्णय लिया. राज्य की मुख्य विपक्षी दल बीजेपी ने साइकिल का वितरण नहीं होने पर सरकार को निशाने पर लिया है. रांची की मेयर आशा लकड़ा का कहना है कि हेमंत सोरेन सरकार की हर एक योजना में राशि के बंदरबांट का खेल चल रहा है. बात चाहे धोती-साड़ी योजना की हो या राशन वितरण योजना की, सरकार लाभुकों तक योजना का लाभ नहीं पहुंचा पा रही है .
कल्याण विभाग ने साइकिल वितरण को लेकर प्रत्येक वित्तीय वर्ष में 122 करोड़ का प्रावधान किया है. पिछले दो वित्तीय वर्ष का 244 करोड़ रुपये का लाभ सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों को नहीं मिल पा रहा है. कल्याण विभाग के समक्ष टेंडर प्रक्रिया में सिर्फ एक कंपनी के भाग लेने की मजबूरी है और बगैर एक से ज्यादा कंपनी के भाग लिए स्कूली छात्र साइकिल की सवारी नहीं कर सकेंगे.