Budget 2022 : देश की व्यक्तिगत कर व्यवस्था में अब आमूलचूल परिवर्तन करने का समय आ गया है. इनकम टैक्स की जगह एक्सपेंडिचर टैक्स अपनाने का यही उपयुक्त अवसर है. आयकर अब केवल वेतनभोगियों व मध्यम वर्ग की परेशानियां बढ़ाने का साधन मात्र रह गया है. धनवान व्यक्तियों से कर वसूली में यह असहाय है. इसलिए अब भारत को आय कर वसूलने का आधार आय (income) नहीं व्यय (expenditure) को बनाना चाहिए.
कितनी विडंबना है कि एक सामान्य वेतन पाने वाला व्यक्ति पहले आयकर टैक्स अदा करता है और फिर बची हुई आय को खर्च करता है. दूसरी ओर, धनी लोग पहले खर्च करते हैं और फिर बची हुई आय पर इनकम टैक्स देते हैं. इनकम टैक्स की जगह एक्सपेंडिचर टैक्स लागू करके कर लगाने का आधार अगर व्यय को किया जाये तो इससे आम आयकरदाता की परेशानियां दूर होंगी. काला धन पनपने से रुकेगा. बचत की प्रवृत्ति को बढ़ावा मिलेगा और देश का व्यक्तिगत टैक्स संग्रहण भी बढ़ेगा.
आईटीआर से मिलेगी मुक्ति
अगर व्यक्तिगत इनकम टैक्स को अलविदा कह दिया जाये तो करीब 6.32 लाख लोगों को वार्षिक आयकर रिटर्न (annual Income Tax Returns -ITR) भरने के बोझ से मुक्ति मिलेगी. आईटीआर नये उद्यमियों और उभरते स्टार्ट-अप्स का हौसला तोड़ने का हथियार बन चुका है क्योंकि यह उन्हें व्यक्तिगत कर अनुपालन से छूट प्रदान नहीं करता है. इनकम टैक्स के जटिल नियमों के कारण लोगों को बहुत से रिकॉर्ड और फाइल रिटर्न्स सब्मिट करनी पड़ती है और उन्हें संभाल कर रखना पड़ता है. आयकर विभाग (income tex department) लाखों रिटर्न को जांचने, प्रश्नों का उत्तर देने (queries), स्पष्टीकरण देने और रिफंड करने तथा आयकरदाताओं के साथ पत्राचार करने में ही उलझा रहता है.
संस्थानों का बोझ होगा कम
अगर व्यक्तिगत इनकम टैक्स को हटा दिया जाता है तो टीडीएस के साथ जुड़े बहुत से संस्थानों को भी बहुत सी रिटर्न्स को एकत्रित, प्रेषित और जमा कराने के सिरदर्द से मुक्ति मिल जाएगी. आज यूएई, कतर, कुवैत, ओमान, सऊदी अरब, बरमूडा, दारूसअलाम और ब्रूनेई आदि बहुत से देश हैं जहां इनकम टैक्स देने की जरूरत नहीं है. वहां लोगों को सामाजिक सुरक्षा में योगदान देना होता है.