Home देश डायबिटीज और आंखों की रोशनी से जुड़े 6 मिथक

डायबिटीज और आंखों की रोशनी से जुड़े 6 मिथक

50
0

आमतौर पर डायबिटीज का जिक्र होते ही बातचीत का रुख खान-पान पर पाबंदी, कार्बोहाइड्रेट की माप, डायबिटीज विशेषज्ञ से मिलने और ब्लड शुगर मापने की नई डिवाइसों जैसी चीजों की तरफ अनायास मुड़ जाता है. इस दौरान शायद ही कभी उल्लेख किया जाता है कि डायबिटीज आंखों के स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित कर सकता है. यकीनन डायबिटीज आपकी आंखों को कैसे प्रभावित करता है, इसके बारे में बहुत सारे मिथक हैं.

इन मिथकों को दूर करने और डायबिटीज से पीड़ित लोगों को उनके स्वास्थ्य और आंखों की बेहतर देखभाल करने में सशक्त बनाने के लिए Network 18 ने Novartis के सहयोग से Netra Suraksha – इंडिया अगेंस्ट डायबिटीज पहल शुरू की है. इस पहल के तहत Network18 चिकित्सा क्षेत्र के विशेषज्ञों की राउंड टेबल चर्चाओं का प्रसारण करेगा. इसके अलावा जानकारी भरे ऐसे वीडियो और लेख भी प्रकाशित करेगा जिनमें डायबिटीज के बारे में लोगों को बताया जाएगा कि इसका असर आंखों पर पड़ता है और इससे डायबिटिक रेटिनोपैथी जैसी एक भयावह जटिलता पैदा होती है. यह जटिलता डायबिटीज से पीड़ित लगभग आधी आबादी में उत्पन्न होती है.1

मिथक 1: क्या मैं जान सकता/सकती हूं कि मेरी आंखें स्वस्थ हैं.
नजर का साफ दिखना महत्वपूर्ण है, लेकिन यह गारंटी नहीं देता कि आपकी आंखें स्वस्थ हैं. कई लोगों में शुरुआत में बेहद कम या कोई लक्षण नहीं दिखते.

ग्लूकोमा को अक्सर आंखों की रोशनी का साइलेंट चोर कहा जाता है, क्योंकि इसमें चेतावनी देने के लिए कोई लक्षण नहीं होते हैं. ग्लूकोमा आपकी आंख के पिछले हिस्से में एक तंत्रिका (नर्व) को नुकसान पहुंचाता है, जिसे ऑप्टिक तंत्रिका कहा जाता है, जो मस्तिष्क से जुड़ी होती है2. ग्लूकोमा का कोई इलाज नहीं है, इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि आप इसका पता जल्द से जल्द लगाएं और इलाज शुरू करें. उपचार के बिना, ग्लूकोमा अंधेपन का कारण बन सकता है.

मोतियाबिंद आपकी आंख के लेंस में बादलों जैसा दिखने वाला क्षेत्र है. मोतियाबिंद को विकसित होने में कई साल लग जाते हैं और जब तक वे पक नहीं जाते तब तक आंख को प्रभावित नहीं कर सकते. एक बार जब बीमारी बढ़ जाती है, तो उसे ठीक करने के लिए सर्जरी जरूरी हो जाती है 3.

डायबिटिक रेटिनोपैथी, डायबिटीज से संबंधित सबसे आम विकार है. डायबिटिक रेटिनोपैथी में, आंखों को ब्लड की सप्लाई करने वाली रक्त वाहिकाएं (विशेषकर रेटिना) ब्लॉक हो जाती हैं, लीक हो जाती हैं, या फट जाती हैं 4. डायबिटिक रेटिनोपैथी में प्रारंभिक अवस्था में कोई लक्षण नहीं दिखता है, लेकिन जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती जाती है, लोगों को पढ़ने में कठिनाई हो सकती है जो कि चश्मे को बदलने से भी ठीक नहीं होती. अगर इसकी पहचान समय पर नहीं हो पाती है, तो यह पूरी तरह से अंधेपन का कारण बन सकती है 4 .

मिथक 2: डायबिटीज से ग्रस्त लोगों में आंखों की समस्याओं का जोखिम इतना अधिक नहीं है
नंबर झूठ नहीं बोलते. दुनिया भर में डायबिटिक रेटिनोपैथी कामकाजी उम्र की आबादी में अंधेपन का प्रमुख कारण है 5. भारत में, वर्ष 2025 तक डायबिटीज मेलिटस वाले लगभग 5.7 करोड़ लोगों को रेटिनोपैथी की समस्या होगी5.

सकारात्मक सोच हमेशा एक एसेट होती है, लेकिन खयाली पुलाव का विपरीत असर पड़ सकता है. डायबिटिक रेटिनोपैथी, डायबिटीज की एक गंभीर और सामान्य जटिलता है और डायबिटीज जितना अधिक पुराना होगा, आपका जोखिम उतना ही अधिक होगा.

मिथक 3: डायबिटिक रेटिनोपैथी केवल टाइप 1 डायबिटीज वाले लोगों को प्रभावित करती है.
डायबिटीज वाले किसी भी व्यक्ति को आंखों का डायबिटिक रोग हो सकता है, यह टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज के बीच भेदभाव नहीं करता है. यह गर्भावस्था के दौरान होने वाले गेस्टेशनल डायबिटीज़ वाली किसी भी महिला को भी प्रभावित कर सकता है. बीमारी के पहले दो दशकों के दौरान, टाइप 1 डायबिटीज वाले लगभग सभी रोगियों और टाइप 2 डायबिटीज वाले 60% से अधिक रोगियों में रेटिनोपैथी विकसित हो जाती है 6.

नियमित रूप से अपनी आंखों की जांच कराने से, आपके डॉक्टर को डायबिटीज से होने वाली आंख संबंधी जटिलताओं को जल्दी पकड़ने और उनका इलाज करने में मदद मिल सकती है.