रूस (Russia) और यूक्रेन (Ukraine) के बीच मंगलवार को तुर्की के इस्तांबुल में आमने-सामने की हुई वार्ता को सार्थक बताया गया है. ऐसा कहा गया है कि युद्ध समाप्त होने की सहमति बहुत जल्द बन सकती है. इसी बीच उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (NATO) ने मंगलवार को यूक्रेन को 6 और 7 अप्रैल को ब्रसेल्स में होने वाले शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए आमंत्रित कर दिया है. इस निमंत्रण का रूस और यूक्रेन के बीच जारी वार्ता पर प्रभाव पड़ सकता है. ऐसी आशंका भी जताई गई है कि इससे युद्ध विराम की सहमति न बने.
ब्रसेल्स में होने वाले शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए नाटो ने यूक्रेन के अलावा अन्य गैर-सदस्य देश जॉर्जिया, फिनलैंड, स्वीडन, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, जापान और कोरिया गणराज्य को भी आमंत्रित किया है. अब यूक्रेन यदि इस आमंत्रण को स्वीकार लेता है और वह नाटो के साथ आगे बढ़ता है तो इसका सीधा प्रभाव रूस के साथ जारी संघर्ष पर पड़ सकता है. यूक्रेन, रूस के साथ बीते महीने भर से चले आ रहे संघर्ष को सुलझाने के लिए कई कोशिश कर चुका है. इसके लिए उसने नाटो में शामिल होने की अपनी इच्छा को भी छोड़ देने का ऐलान किया है. इधर, रूस ने भी कहा है कि यूक्रेन की राजधानी कीव के आसपास सैन्य गतिविधियों को कम करेगा.
अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकारों का मानना है कि यदि यूक्रेन अपनी नाटो में शामिल होने की जिद छोड़ देगा तो रूस भी अपनी सेना को वापस बुला सकता है. इधर नाटो द्वारा आमंत्रण दिए जाने के बाद निगाहें यूक्रेन पर जाकर टिक गईं हैं. इससे पहले यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की को पहले नाटो शिखर सम्मेलन को वर्चुअली संबोधित करने के लिए आमंत्रित किया गया था और वे इसमें शामिल हुए थे. उन्होंने यूक्रेन में हुए रूसी हमले पर अपनी बात रखी थी.
यूक्रेनी वार्ताकार डेविड अरखामिया ने कहा कि हम सुरक्षा गारंटी का एक अंतरराष्ट्रीय तंत्र चाहते हैं जहां गारंटर देश, नाटो के अनुच्छेद संख्या पांच के समान तरीके से एक्ट करे. नाटो संधि के अनुच्छेद 5 में सदस्य देशों को हमले के मामले में अन्य सदस्यों की सहायता के लिए आना होता है. रूसी प्रतिनिधिमंडल के साथ बातचीत के बाद डेविड अरखामिया ने कहा कि सुरक्षा गारंटी के साथ यूक्रेन तटस्थ रह सकता है, जिसका अर्थ है कि वह नाटो में शामिल होने की अपनी आकांक्षाओं को छोड़ देगा.