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Zomato और Swiggy के खिलाफ 60 दिन में जांच करने का आदेश, जानें CCI ने क्यों उठाया यह कदम

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भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने ऑनलाइन फूड डिलीवरी ऐप स्विगी (Swiggy) और जोमैटो (Zomato) के खिलाफ प्रतिस्पर्धा विरोधी व्यवहार को लेकर जांच का आदेश दिया है. यह आदेश नेशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (NRAI) की शिकायत के बाद दिया गया है. दोनों कंपनियों के खिलाफ उनके रेस्टोरेंट भागीदारों के साथ अनुचित तरीके से कारोबार करने का आरोप है. एनआरएआई देशभर में 50000 से ज्यादा रेस्टोरेंट ऑपरेटरों का प्रतिनिधित्व करता है.

सीसीआई ने 4 अप्रैल को आदेश दिया कि स्विगी और जोमैटो के खिलाफ लग रहे पेमेंट साइकिल में देरी, एकतरफा क्लॉज और कमीशन लगाने जैसे आरोपों की एक जांच होनी चाहिए. निष्पक्ष ट्रेड रेगुलेटर ने अपने महानिदेशक को आरोपों की गहन जांच करने और 60 दिनों में रिपोर्ट देने को कहा है.

विस्तार से जांच का आदेश
लाइव मिंट के मुताबिक, सीसीआई ने कहा कि प्राथमिक जांच में यह हितों के टकराव का मामला लग रहा है. रेस्टोरेंट भागीदारों के बीच प्रतिस्पर्धा पर इसके असर की विस्तार से जांच करने की आवश्यकता है. सीसीआई ने कहा कि दोनों ऑनलाइन फूड डिलीवरी करने वाली प्रमुख कंपनियां हैं. बाजार में अपनी मजबूत पकड़ के कारण ये दोनों प्रतिकूल असर डाल सकती हैं. कामकाज के समान अवसरों को भी अपने हिसाब से प्रभावित कर सकती हैं.
रेस्टोरेंट के लिए बन रहे हैं बाधा
सीसीआई का कहना है कि स्विगी और जोमैटो अपनी बाजार हिस्सेदारी या राजस्व हितों वाले रेस्टोरेंट भागीदारों को अन्य के मुकाबले ज्यादा तवज्जो देती हैं. ऐसा व्यवहार कई तरीकों से हो सकता है, जिससे प्रतिस्पर्धा प्रभावित हो सकती है. आयोग ने कहा कि जोमैटो और स्विगी के समझौतों में शामिल ‘मूल्य समानता उपनियम’ व्यापक अंकुशों की ओर इशारा करते हैं. इन नियमों के तहत रेस्टोरेंट भागीदार अपने खुद के किसी भी माध्यम के जरिये कम दाम पर डिलीवरी नहीं कर सकते या ज्यादा छूट नहीं दे सकते हैं.

ज्यादा कमीशन लेने का भी आरोप
इससे पहले एसोसिएशन ने पिछले साल जुलाई में स्विगी और जोमैटो के खिलाफ डाटा मास्किंग, डीप डिस्काउंटिंग और प्लेटफॉर्म न्यूट्रैलिटी के उल्लंघन के आरोपों की जांच की मांग की थी. उसका दावा था कि महामारी के दौरान दोनों कंपनियों की प्रतिस्पर्धा विरोधी प्रथाओं को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं. एनआरएआई ने आरोप लगाया कि स्विगी और जोमैटो रेस्टोरेंट से 20 से 30 फीसदी तक कमीशन लेते हैं, जो अव्यवहार्य और ज्यादा है.