अक्षय तृतीया की वजह से एक बार फिर गोल्ड ईटीएफ निवेश चर्चा में रहा है. सोने में निवेश करने वालों के लिए यह एक बेहतर विकल्प माना जाता है. अगर आप भी गोल्ड इटीएफ में निवेश करना चाहते हैं तो पहले जान लीजिए इसमें निवेश के क्या फायदे हैं.
गोल्ड ETF में निवेश करने के लिए सबसे पहले आपको डीमैट अकाउंट खोलना होता है. इसमें NSE पर उपलब्ध गोल्ड ETF के यूनिट आप खरीद सकते हैं और उसके बराबर की राशि आपके डीमैट अकाउंट से जुड़े बैंक अकाउंट से कट जाएगी. आपके डीमैट अकाउंट में ऑर्डर लगाने के दो दिन बाद गोल्ड ETF आपके अकाउंट में डिपॉजिट हो जाते हैं. ट्रेडिंग खाते के जरिए ही गोल्ड ETF को बेचा जाता है.
कम मात्रा में भी खरीद सकते हैं सोना
ETF के जरिए सोना यूनिट्स में खरीदते हैं, जहां एक यूनिट एक ग्राम की होती है. इससे कम मात्रा में या SIP (सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) के जरिए सोना खरीदना आसान हो जाता है. वहीं भौतिक (फिजिकल) सोना आमतौर पर तोला (10 ग्राम) के भाव बेचा जाता है. ज्वेलर से खरीदने पर कई बार कम मात्रा में सोना खरीदना संभव नहीं हो पाता.
उच्च स्तर की शुद्धता
गोल्ड ETF की कीमत पारदर्शी और एक समान होती है. यह लंदन बुलियन मार्केट एसोसिएशन का अनुसरण करता है, जो कीमती धातुओं की ग्लोबल अथॉरिटी है. वहीं फिजिकल गोल्ड अलग-अलग विक्रेता/ज्वेलर अलग-अलग कीमत पर दे सकते हैं. गोल्ड ETF से खरीदे गए सोने की 99.5% शुद्धता की गारंटी होती है, जो कि सबसे उच्च स्तर की शुद्धता है. आप जो सोना लेंगी उसकी कीमत इसी शुद्धता पर आधारित होगी.
गोल्ड ETF खरीदने में 0.5% या इससे कम की ब्रोकरेज लगती है, साथ ही पोर्टफोलियो मैनेज करने के लिए सालाना 1% चार्ज देना पड़ता है. यह उस 8 से 30 फीसदी मेकिंग चार्जेस की तुलना में कुछ भी नहीं है, जो ज्वेलर और बैंक को देना पड़ता है, भले ही आप सिक्के या बार खरीदें.
सुरक्षा की गारंटी
इलेक्ट्रॉनिक गोल्ड डीमैट अकाउंट में होता है जिसमें सिर्फ सालाना डीमैट चार्ज देना होता है. साथ ही चोरी होने का डर नहीं होता. वहीं फिजिकल गोल्ड में चोरी के खतरे के अलावा उसकी सुरक्षा पर भी खर्च करना होता है. व्यापार की आसानी: गोल्ड ETF को बिना किसी परेशानी के तुरंत खरीदा और बेचा जा सकता है. गोल्ड ETF को लोन लेने के लिए सिक्योरिटी के तौर पर भी इस्तेमाल कर सकते हैं.