केंद्र सरकार ने दो साल पहले डाइरेक्ट टैक्स से जुड़े विवादों के समाधान के लिए विवाद से विश्वास योजना शुरू की थी. साथ ही सीमा पार टैक्स विवाद निपटाने के लिए म्यूचुअल एग्रीमेंट प्रोसिजर (MAP) योजना की शुरुआत की थी. अब इसमें कुछ बदलावों के साथ केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने नई गाइडलाइन जारी की है.
सीबीडीटी ने अपनी गाइडलाइन में स्पष्ट किया है कि दोनों योजनाओं के तहत कर अधिकारियों और कारोबारियों को किस तरह अप्रोच करना होगा. विवाद से विश्वास योजना जहां प्रत्यक्ष कर के विवादों को निपटाती है, वहीं MAP के जरिये सीमा पार कर भुगतान या मल्टीनेशनल कंपनियों से जुड़े विवादों का समाधान किया जाता है. 2020 में शुरू हुई विवाद से विश्वास योजना के तहत टैक्सपेयर्स को सिर्फ मूल कर चुकाना पड़ता है, जबकि ब्याज और जुर्माने से छूट मिल जाती है.
क्या है नई गाइडलाइन में
सीबीडीटी ने स्पष्ट किया है कि ऐसे किसी मामले में जिसमें भारतीय नागरिक ने सीमा पार के किसी टैक्स डिस्प्यूट को विवाद से विश्वास योजना के जरिये निपटाया है, जबकि उससे जुड़ी कंपनी ने संबंधित देश में MAP योजना के जरिये समाधान की मांग की है. ऐसे मामले में करदाता को उस देश में MAP योजना के जरिये भी विवाद का समाधान कराना होगा. हालांकि, MAP का विवाद से विश्वास योजना से आए परिणामों पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
इसके अलावा अगर कोई अनिवासी करदाता अपने समाधान के लिए विवाद से विश्वास योजना का चुनाव करता है तो उसके लिए MAP योजना का चुनाव उपलब्ध नहीं होगा. सीबीडीटी ने अपनी गाइडलाइन में यह भी कहा है कि करदाताओं को सभी जानकारी सही-सही देना जरूरी होगा और योजना का चुनाव करते समय इसका खास ख्याल रखना होगा.
दोनों योजनाओं के परिणाम में नहीं होना चाहिए अंतर
सीबीडीटी ने अपनी गाइडलाइन में कहा है कि अगर कोई टैक्सपेयर दोनों ही योजनाओं का चुनाव करता है तो उसे इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि दोनों योजनाओं के परिणाम में कोई अंतर न हो. अगर विवाद से विश्वास योजना के जरिये समाधन किया जा चुका है तो करदाता को MAP योजना में अलग परिणाम की उम्मीद नहीं करनी चाहिए. इसके लिए जरूरी है कि अपील करते समय सभी जानकारियों को स्पष्ट और सही रूप में भरा जाए.