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खिलौनों के बाद अब चीन से आने वाली किस चीज़ पर लगाम लगाएगा भारत

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अंग्रेज़ी अख़बार बिजनेस स्टैंडर्ड के पहले पन्ने पर छपी रिपोर्ट के मुताबिक़ वाणिज्य मंत्रालय जल्द ही क्वालिटी कंट्रोल ऑर्डर जारी करेगा ताकि आयात होने वाले इलेक्ट्रिक पंखों और स्मार्ट मीटरों की जांच की जा सकें, इसका खास मक़सद चीन से आने वाले उत्पादों की जांच करना होगा. इससे पहले भारत ने कड़े क्वालिटी चेक नियमों के ज़रिए चीन से आयात किए जाने वाले खिलौनों पर लगाम लगाई गई थी. एक अधिकारी के हवाले से अख़बार लिखता है, “हम बड़े पैमाने पर उत्पादन वाली चीज़ों जैसे स्मार्ट मीटर और सीलिंग पंखों के लिए क्यूसीओ (क्लालिटी कंट्रोल ऑर्डर) लाने पर विचार कर रहे हैं. इससे हमारे अपने उद्योग और उपभोक्ताओं को लाभ होगा.” वित्तीय वर्ष 2022 में भारत में सीलिंग पंखों का आयात 132 फ़ीसदी बढ़कर लगभग 62.2 लाख डॉलर का हो गया, इनमें से 59.9 लाख डॉलर क़ीमत के पंखे चीन से आयात किए गए थे. साल 2022 में इलेक्ट्रिक मीटर का आयात बढ़कर 31.0 लाख डॉलर का हो गया और इनमें से भी 13.2 लाख डॉलर क़ीमत के इलेक्ट्रिक मीटर चीन से आयात किए गए थे. साल 2020 में भारत ने खिलौनों के लिए क्वालिटी कंट्रोल ऑर्डर जारी किया था जिसके बाद खिलौनों का आयात बीते सालों में 70 फ़ीसदी गिर गया. जो आयात वित्तीय वर्ष 2019 में 37.1 करोड़ डॉलर था वो साल 2020 में11 करोड़ डॉलर हो गया. इसी अवधि में चीन से खिलौनों का आयात 80 प्रतिशत घट कर 5.9 करोड़ डॉलर तक गिर गया. चीन के साथ तेज़ी से व्यापार घाटा भारत के लिए चिंता का विषय है, जिससे भारत अपने उत्तरी पड़ोसी के साथ ग़ैर-ज़रूरी आयात को कम करने की कोशिश कर रहा है. वित्त वर्ष 2022-23 के अप्रैल-सितंबर की तिमाही के दौरान चीन को होने वाला निर्यात 36.2 फ़ीसदी घटा और 7.8 अरब डॉलर हो गया. वहीं, आयात 23.6 फ़ीसदी बढ़ा और 52.4 अरब डॉलर तक हो गया. उद्योग विभाग भी उन सभी उत्पादों के मानकों की जांच कर रहा है और साथ ही इस बात को भी देखा जा रहा है कि क्या इन उत्पादों के उत्पादन को लेकर घरेलू उद्योग में क्षमता है. एक अधिकारी ने अख़बार से कहा, “जहां कहीं भी उत्पादों के मैनुअल, मानकीकरण प्रक्रियाएं और परीक्षण के लिए लैब उपलब्ध हैं, वहां हम क्यूसीओ पेश करने की कोशिश कर रहे हैं. एक बड़ा और लंबा काम है जो हम करने जा रहे हैं.” हालांकि, अधिकारी ने कहा कि घरेलू उद्योग हमेशा क्वालिटी कंट्रोल का समर्थन नहीं करता है. रिपोर्ट के अनुसार, अधिकारी ने बताया, “दुर्भाग्य से, आज भारत में समस्या यह है कि जिस पल आप क्यूसीओ के माध्यम से मानक तय करना चाहते हैं, घरेलू उद्योग इसका विरोध करता है क्योंकि उन्होंने गुणवत्ता पर ध्यान नहीं दिया.”

एम्स के सर्वर अटैक पीछे ‘विदेशी ताक़तों’ का हाथ?


23 नवंबर को एम्स के सर्वर पर हुए साइबर अटैक मामले में प्राथमिक जांच में सामने आया है कि हैकिंग विदेश से की गई. इंडियन एक्सप्रेस अख़बार का कहना है कि इस हैकिंग के पीछे ‘विदेशी ताक़तों’ का हाथ है. 23 नवंबर को सुबह सात बजे से एम्स का सर्वर डाउन है और इस मामले में एनआईए, आईबी, दिल्ली पुलिस की साइबर सेल, इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम सहित कई केंद्रीय जांच एजेंसियां जांच कर रही हैं. बीते दिनों एम्स ने इस मामले पर एक प्रेस रिलीज़ जारी करते हुए बताया था, “ई-अस्पताल डेटा को रिस्टोर किया जा चुका है लेकिन सर्वर को सैनेटाइज़ किया जा रहा है और ऐसा होने में कुछ दिन और लगेंगे. ऐसे में पूरा सिस्टम मैनुअल कर दिया गया है.” इस वक्त एम्स में कोई भी काम ऑनलाइन नहीं किया जा रहा है. अख़बार लिखता है कि देश की प्रमुख साइबर सुरक्षा एजेंसी इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (Cert-In) ने साइबर हमले की अपनी प्रारंभिक जांच पूरी कर ली है, जिसमें हैक का डाइगनॉसिस और इसमें शामिल लोगों की प्रारंभिक पहचान की गई है.

बीजेपी-आसएसएस ‘जय सियाराम’ नहीं कहते क्योंकि


हिंदुस्तान टाइम्स में छपी एक ख़बर के अनुसार कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शुक्रवार को कहा कि बीजेपी-आरएसएस ‘जय श्रीराम’ कहते हैं, ‘जय सियाराम’ नहीं कहते क्योंकि वो सीता जी की पूजा नहीं करते. इससे एक दिन पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बयान पर जवाब देते हुए कहा था कि कांग्रेस ने कभी राम पर विश्वास ही नहीं किया. मध्यप्रदेश के मालवा में रैली के दौरान राहुल गांधी ने बीजेपी-आरएसएस पर निशाना साधते हुए कहा कि “जय सियाराम का मतलब क्या है? इसका मतलब है जय सीता, जय राम. दोनों एक ही है इसलिए ये नारा है. जो राम के जीने का तरीका था, जो उन्होंने सीता के लिए किया और उनकी इज़्ज़त के लिए लड़े. लेकिन बीजेपी के लोग जय सीता राम या जय सियाराम नहीं बोलते क्यों? क्योंकि आरएसएस-बीजेपी के लोग उस भावना से अपनी ज़िंदगी नहीं जीते जिस भाव से राम ने अपनी ज़िंदगी जी थी.” “राम ने किसी के साथ अन्याय नहीं, किया समाज को तोड़ने का काम नहीं किया. दूसरी सबसे बड़ी वजह कि वो लोग जय सियाराम और सीताराम बोल ही नहीं सकते क्योंकि उनके संगठन में एक भी महिला नहीं है.”