उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और गुजरात के बाद एक और भाजपा शासित राज्य मध्य प्रदेश ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के लागू करने के लिए एक पैनल बनाने का फैसला किया है. पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक बीजेपी के नेतृत्व वाले राज्यों के इस तरह के कदम को अलग-थलग करके नहीं बल्कि 2024 के आम चुनाव को ध्यान में रखकर देखा जाना चाहिए. इन राज्यों के अलावा कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और असम सरकार भी यूसीसी की बात करती रही हैं. कर्नाटक सरकार ने नवंबर में कहा था कि वह समानता सुनिश्चित करने के लिए यूसीसी के कार्यान्वयन पर ‘गंभीरता’ से विचार कर रही है. यूसीसी- भारत में रहने वाले हर नागरिक के लिए एक समान कानून का होना, चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का क्यों न हो- को लेकर आना भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का लंबे समय से एजेंडा रहा है. आरएसएस ने हमेशा कहा है कि ‘समावेशी भारत’ को बढ़ावा देने के लिए इसकी जरूरत है. भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘केंद्र में मोदी सरकार पहले ही दो प्रमुख वादों को पूरा कर चुकी है – धारा 370 (जिसने जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा दिया था) को खत्म करना और अयोध्या मंदिर 2024 से पहले तैयार हो जाएगा. इसलिए, स्वाभाविक रूप अब फोकस UCC पर होगा. हम जो वादा करते हैं उसे करने में विश्वास रखते हैं.’ मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले के सेंधवा प्रखंड के चाचरिया ग्राम पंचायत में गुरुवार को एक रैली में कुछ आदिवासी समुदायों के सदस्यों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, ‘कई बदमाश हमारी आदिवासी बेटियों से शादी करते हैं और उनके नाम पर जमीन ले लेते हैं. मेरा मानना है कि भारत में समान नागरिक संहिता लागू करने का समय आ गया है. कोई एक से ज्यादा बार शादी क्यों करे? एक देश में दो विधान क्यों चलें? एक ही होना चाहिए’ चौहान ने तर्क दिया, ‘मैं समान नागरिक संहिता के लिए मध्य प्रदेश में एक समिति बना रहा हूं. अगर यूसीसी के तहत सिर्फ एक पत्नी रखने की इजाजत है तो फिर एक से ज्यादा पत्नी रखने की इजाजत क्यों होनी चाहिए?’ भाजपा के एक वरिष्ठ नेता के अनुसार, यूसीसी के लिए ये कदम उठाने का मकसद 2024 से पहले मतदाताओं की प्रतिक्रिया का आकलन करना भी है कि क्या पार्टी को इसे राष्ट्रीय स्तर पर लागू करना चाहिए. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी पिछले महीने कहा था कि भाजपा ‘उचित’ समय पर यूसीसी लाने के लिए प्रतिबद्ध है. पार्टी के एक अन्य नेता ने कहा, ‘तीन राज्यों ने पहले ही समितियों का गठन कर लिया है और उत्तराखंड में यह कवायद तेजी से आगे बढ़ रही है.’ उत्तराखंड सरकार को पहले ही समाज के सभी वर्गों से लाखों प्रतिक्रियाएं मिल चुकी हैं और सभी राज्यों और प्रतिक्रियाओं का अध्ययन करने के बाद भविष्य की रणनीति तैयार की जाएगी. हालांकि, कांग्रेस ने कहा है कि बीजेपी यूसीसी मुद्दे को हमेशा चुनाव से पहले उठाती है.