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नगर निगम की अनोखी पहल, प्लास्टिक वेस्ट बेचकर निगम ने कमाए 1 करोड़

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उपयोग प्लास्टिक को प्रोसेस करने की इस संपूर्ण प्रक्रिया में जो नॉन रिसाइक्लेबल प्लास्टिक बचता है, उसे हाइड्रोलिक बेल मशीन से कंप्रेस कर आरडीएफ (रिफ्यूज ड्राइव्ड फ्यूल) बनाया जा रहा है। इसे सीमेंट प्लांट में भेजा जाता है, इसका प्रयोग द्वारा ईंधन के रूप में किया जाता है।

अंबिकापुर. नगरीय निकायों में प्लास्टिक वेस्ट का संग्रहण एवं उसका निपटान एक बड़ी चुनौती है। इससे निपटने योजनाएं भी चलाई गईं ताकि लोग प्लास्टिक वेस्ट जमा करने के प्रति जागरूक हो सकें। नगर निगम अंबिकापुर में गार्बेज कैफे भी इसी उद्देश्य से खोला गया था। इस समस्या से निपटने के लिए अंबिकापुर नगर निगम ने नई तरकीब निकाली और इसे प्रोसेस करना शुरू कर दिया। प्लास्टिक वेस्ट को दाने और लिक्विड फार्म में तब्दील किया जाने लगा। अब इसे सीमेंट फैक्ट्री में बेचकर निगम लाखों रुपए का मुनाफा कमा रहा है।

दो टन प्लास्टिक वेस्ट हो जाता जमा

मुख्य बात यह है कि यदि निगम द्वारा इस व्यवस्था को लागू नहीं किया जाता तो आज की स्थिति में दो टन प्लास्टिक से एक नया डंप यार्ड बन जाता। सीमेंट प्लांट ईंधन के रूप में करती है उपयोग प्लास्टिक को प्रोसेस करने की इस संपूर्ण प्रक्रिया में जो नॉन रिसाइक्लेबल प्लास्टिक बचता है, उसे हाइड्रोलिक बेल मशीन से कंप्रेस कर आरडीएफ (रिफ्यूज ड्राइव्ड फ्यूल) बनाया जा रहा है। इसे सीमेंट प्लांट में भेजा जाता है, इसका प्रयोग द्वारा ईंधन के रूप में किया जाता है।

स्वच्छता दीदियों ने निभाई अहम भूमिका
अंबिकापुर में प्रतिदिन डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन से डेढ़ से 2 टन प्लास्टिक वेस्ट संग्रहित होता है। इससे निपटने निगम ने प्लास्टिक का दाना और लिक्विड बनाने की यूनिट लगाई है। इसके माध्यम से प्रतिदिन 800 से 1 टन प्लास्टिक की प्रोसेसिंग की जा रही है। स्वच्छता दीदियों (कचरा कलेक्शन में जुटी महिलाएं) को इसके विक्रय से अच्छी आमदनी भी प्राप्त हो रही है। अभी दो टन प्रोसेस कर दाना एवं रिसाइकल कर 1 करोड़ रुपए की कमाई की है।