नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फ़ारूक़ अब्दुल्ला ने आरोप लगाया कि युवाओं को नौकरी देना तो दूर की बात है, जम्मू कश्मीर से जुड़े मामलों पर नियंत्रण रखने वाली केंद्र सरकार ने सैकड़ों नौकरीपेशा युवाओं को बाहर का रास्ता दिखा दिया है.
श्रीनगर: नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने कहा है कि जम्मू कश्मीर के लोगों के सर्वांगीण विकास का विचार तब तक सार्थक नहीं हो सकेगा, जब तक उनके बुनियादी लोकतांत्रिक अधिकारों का सम्मान नहीं किया जाता.
उन्होंने कहा कि मानवाधिकार अपरिहार्य हैं और हर व्यक्ति की गरिमा में निहित हैं.
श्रीनगर से लोकसभा सदस्य अब्दुल्ला ने अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस पर दिए अपने संदेश में कहा, ‘सत्तारूढ़ गठबंधन ऐसा आख्यान देकर राष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक सीढ़ियां चढ़ने के लिए जम्मू कश्मीर का इस्तेमाल कर रहा है, जो जमीनी हकीकत से मेल नहीं खाता है.’
उन्होंने आरोप लगाया कि युवाओं को नौकरी देना तो दूर की बात है, जम्मू कश्मीर से जुड़े मामलों पर नियंत्रण रखने वाली केंद्र सरकार ने सैकड़ों नौकरीपेशा युवाओं को बाहर का रास्ता दिखा दिया है.
अब्दुल्ला ने कहा, ‘एक भी चयन प्रक्रिया ऐसी नहीं है, जो किसी घोटाले के रूप में समाप्त न हुई हो. हमारे सरकारी कर्मचारी बहुत दबाव में काम कर रहे हैं. इस सरकार द्वारा श्रम अधिकारों का व्यापक अधिग्रहण हम सभी के लिए चिंता का मुख्य विषय है. इस प्रवृत्ति पर लगाम लगाने की जरूरत है.’
फारूक अब्दुल्ला ने क्षेत्र में प्रेस की आजादी पर कहा कि लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के रूप में एक मजबूत शासन के लिए प्रेस की स्वतंत्रता महत्वपूर्ण है.
मालूम हो कि बीते नवंबर में जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष पद से हटने की घोषणा करते हुए कहा था कि अब नई पीढ़ी को जिम्मेदारी सौंपने का समय आ गया है.
हालांकि बीते पांच दिसंबर को वह पार्टी के फिर से प्रमुख चुन लिए गए. इस दौरान फारूक अब्दुल्ला ने कहा था कि 2018 में पंचायत चुनावों का बहिष्कार करना ‘एक बड़ी गलती’ थी और पार्टी को भविष्य में जम्मू कश्मीर में हर चुनाव लड़ना चाहिए.
अब्दुल्ला ने सरकार और सुरक्षा बलों को किसी भी चुनाव प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं करने की भी चेतावनी दी थी.
पार्टी के अध्यक्ष पद पर फिर से चुने जाने के बाद उन्होंने कहा था कि हालांकि वह इस जिम्मेदारी से हटना चाहते थे और युवा नेतृत्व को पार्टी चलाने देना चाहते हैं, उन्हें पद पर बने रहने के लिए मना लिया गया, क्योंकि ‘हम बहुत कठिन दौर से गुजर रहे हैं’.