अब मनरेगा के कामों के खिलाफ अब सरपंच एकजुट होने लगे है। इसी को लेकर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से सरपंचों के समूहों ने मुलाकत की है।
साथ ही NMMS स्कीम को बंद करने की मांग की है।
राष्ट्रीय सरपंच संघ व सरपंच एकता कल्याण संघ के मुताबिक ग्राम पंचायतों में मनरेगा योजना के अर्न्तगत कार्य करने वाले श्रमिकों की NMMS के माध्यम से जो हाजिरी लगवाई जा रही है, उसे तुरंद बंद किया जाए। क्योंकि इनमें अधिकाश श्रमिक महिलाएं होती हैं। जिन्हें अपना घूंघट उठाकर हाजिरी लगाना पड़ती है, जिससे उन्हें बड़ी शर्म महसूस होती है। तो वहीं ग्राम पंचायतों के दूर-दराज के क्षेत्रों मे नेटवर्क की बड़ी समस्या रहती है, जिस कारण भी हाजिरी लगाने में समस्या आती है। सरपंचों के मुताबिक 31 जनवरी 2023 तक लाखों मजदूरों का NMMS GEOTABG न होने के कारण उनकी मजदूरी का भुगतान नहीं हो सका है। इसलिए सरपंच एवं श्रमिकों के बीच भुगतान को लेकर विवाद की स्थिति निर्मित रहती है। श्रमिकों का भुगतान न होने की जिम्मेदारी सरपंचों की मानी जाती है। साथ ही मनरेगा की प्रतिदिन की मजदूरी 204 रुपए है, जो कि ग्रामीण क्षेत्र के श्रमिकों के साथ छलावा है, जिसके कारण ग्रामीण क्षेत्रों के श्रमिक शहर की ओर पलायन करने को मजबूर हैं। मजदूर न होने पर मजबूरी में पंचायतों के विकास कार्यों में मशीनरी लगाना पड़ती है या फिर दोगुना रेट पर मजदूरों को लगाना पड़ता है। उन्होंने कहा कि मजदूरों के कार्य के मूल्यांकन की मात्रा के अनुसार भुगतान का अधिकार ग्राम पंचायत को होना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मनरेगा योजना सामुदायिक कार्यों की सीमा ग्राम सभा को तय करने का अधिकार वापस लिया जाए और 20 कार्यों की सीमा समाप्त की जाए। सामग्री भुगतान मजदूरों के साथ ही किया जाए, सामग्री भुगतान FIFO के आधार पर होना चाहिए।