Shani Pradosh Vrat 2023: प्रत्येक महीने में दो पक्ष होते हैं, एक कृष्ण पक्ष और दूसरा शुक्ल पक्ष। इन दोनों ही पक्षों की त्रयोदशी को प्रदोष व्रत किया जाता है और प्रदोष व्रत में भी प्रदोष काल का महत्व होता है।
बता दें कि प्रदोष काल उस समय को कहा जाता है, जब दिन छिपने लगता है, यानी सूर्यास्त के ठीक बाद वाले समय और रात्रि के प्रथम प्रहर को प्रदोष काल कहा जाता है। त्रयोदशी के दिन प्रदोष काल के समय भगवान शंकर की पूजा का विधान है। त्रयोदशी की रात के पहले प्रहर में जो व्यक्ति किसी भेंट के साथ शिव प्रतिमा के दर्शन करता है, उसे जीवन में सुख ही सुख मिलता है। अतः इस दिन शिव प्रतिमा के दर्शन अवश्य ही करने चाहिए।
आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार सप्ताह के सातों दिनों में से जिस दिन प्रदोष व्रत पड़ता है, उसी के नाम पर उस प्रदोष का नाम रखा जाता है। जैसे सोमवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को सोम प्रदोष और मंगलवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को भौम प्रदोष कहा जाता है, बुधवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को बुध प्रदोष के नाम से जाना जाता है। गुरुवार को पड़ने वाले प्रदोष को गुरु प्रदोष के नाम से जाना जाता है। वैसे ही शुक्रवार को पड़ने वाले प्रदोष को शुक्र प्रदोष के नाम से जाना जाता है। इस बार प्रदोष व्रत शनिवार को पड़ रहा है इसलिए ये शनि प्रदोष व्रत है। शनि प्रदोष के दिन भगवान शंकर के साथ ही शनिदेव की पूजा का बड़ा ही महत्व है। आइए जानते हैं शनि प्रदोष व्रत की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, महत्व और मंत्र।
कब है शनि प्रदोष व्रत (Shani Pradosh Vrat Date)
इस बार शनि प्रदोष व्रत 18 फरवरी 2023 को रखा जाएगा। सबसे खास बात यह है कि इस दिन महाशिवरात्रि का भी खास संयोग बन रहा है। कहा जाता है कि महाशिवरात्रि और प्रदोष व्रत शिव जी को अति प्रिय है। ऐसे में इस शुभ संयोग में भगवान भोलेनाथ की उपासना से आपको दोगुना फल प्राप्त हो सकता है।
शनि प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त (Shani Pradosh Vrat Shubh Muhurat)
- फाल्गुन कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि प्रारंभ – 17 फरवरी 2023 को रात 10 बजकर 16 मिनट से
- फाल्गुन कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि का समापन 18 फरवरी 2023, शनिवार को शाम 06 बजकर 32 मिनट पर
- पूजा मुहूर्त का समय शाम 06 बजकर 45 बजे से रात 09 बजकर 01 मिनट तक है।
शनि प्रदोष व्रत की पूजा विधि (Pradosh Vrat Puja Vidhi)
- इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर सभी नित्य कर्मों से निवृत्त होकर स्नान करें।
- इसके बाद सूर्य भगवान को अर्ध्य दें और बाद में शिव जी की उपासना करनी चाहिए।
- इस दिन भगवान शिव को बेल पत्र, पुष्प, धूप-दीप और भोग आदि चढ़ाने के बाद शिव मंत्र का जाप, शिव चालीसा करना चाहिए।
- ऐसा करने से मनचाहे फल की प्राप्ति के साथ ही कर्ज की मुक्ति से जुड़े प्रयास सफल रहते हैं।
- सुबह पूजा आदि के बाद संध्या में, यानी प्रदोष काल के समय भी पुनः इसी प्रकार से भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए।
- शाम में आरती अर्चना के बाद फलाहार करें।
- अगले दिन नित्य दिनों की तरह पूजा संपन्न कर व्रत खोल पहले ब्राह्मणों और गरीबों को दान दें।
- इसके बाद भोजन करें।
शनि प्रदोष व्रत का महत्व (Pradosh Vrat Importance)
प्रदोष व्रत के दिन भगवान शंकर की पूजा करनी चाहिए। कहा जाता है कि इस दिन जो व्यक्ति भगवान शंकर की पूजा करता है और प्रदोष व्रत करता है, वह सभी पापकर्मों से मुक्त होकर पुण्य को प्राप्त करता है साथ ही रोग, ग्रह दोष, कष्ट, आदि से मुक्ति मिलती है और भगवान भोलेनाथ की कृपा से धन, धान्य, सुख, समृद्धि से जीवन परिपूर्ण होता है।
प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव के इस महामृत्युजंय के मंत्र का जाप करें।
ऊं त्र्यम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टि वर्धनम।
उर्वारुकमिव बन्धनात मृत्युर्मुक्षीय माम्रतात।|
इस प्रकार जो व्यक्ति भगवान शिव की पूजा आदि करता है और प्रदोष का व्रत रखता है, वह सभी बन्धनों से मुक्त होकर सभी प्रकार के सुख-समृद्धि को प्राप्त करता है और उसे उत्तम लोक की प्राप्ति होती है।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।