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“हिंद महासागर में भारत का सामरिक हित” विषय पर आयोजित दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी समाप्त

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💐 अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन 💐

रक्षा अध्ययन विभाग, साइंस कॉलेज, रायपुर तथा विप्र महाविद्यालय द्वारा आयोजित दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आज समापन हुआ।
“हिंद महासागर में भारत का सामरिक हित” विषय पर आयोजित दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के प्रथम सत्र में गोरखपुर से प्रो हरि शरण ने कहा कि ‘किसी भी देश की आर्थिक प्रगति ही उस देश के नौसेना के प्रगति का धोतक होता है। अतः जैसे-जैसे भारत में आर्थिक प्रगति हो रहा है, वैसे भारतीय नौसेना भी ताकतवर हो रही है। चीन की बढ़ती नौसेना की ताकत, उसकी आर्थिक प्रगति को दिखाता है। चीन का हिंद महासागर में बढ़ता दखल, भारत के लिए लगातार चुनौती प्रस्तुत कर रहा है।’ नई दिल्ली से प्रोफेसर विमल नयन पांडेय ने बताया कि ‘वर्ष 2003 और वर्ष 2013 के मध्य, चीन ने अदन की खाड़ी में अपनी नौसेना को भेजने के पश्चात से ही हिंद महासागर में अब स्थाई रूप से रहने लग गया है। उसके निगरानी रखने वाले जहाजों का लगातार हिंद महासागर में उपस्थिति भी हमारे लिए चुनौती है। आज के अंतिम विशेषज्ञ के रूप में भारतीय वायु सेना से सेवानिवृत्त ग्रुप कैप्टन सतीश मिश्रा ने बताया कि ‘बढ़ते हुए चीन की चुनौती का सामना तथा मलक्का जल मार्ग से भविष्य के होने वाले खतरे के दृष्टिगत भारत ने अंडमान एवं निकोबार दीप समूह पर ट्राई सर्विस कमांड का स्थापना किया है। यह एक थिएटर कमांड है, जो तीनों सशस्त्र बल को एक नेतृत्व के अधीन रखता है।’ आज इस अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन पर प्रो गिरीश कांत पांडेय ने पूरे विषय पर अपना विचार रखा। विप्र महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ मेघेश तिवारी ने अपना आशीर्वचन प्रस्तुत किया। आज के इस कार्यक्रम को प्रो निधि शुक्ला ने संचालित किया तथा प्रो प्रवीण कुमार कड़वे ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

प्रो गिरीश कांत पांडेय
संयोजक