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विश्‍व प्रेस स्‍वतंत्रता दिवस 2024: क्‍यों हर साल 3 मई को मनाया जाता है , जब इमरजेंसी लगा कर कांग्रेस की pm इंदिरा गाँधी ने प्रेस का गला घोटा

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विश्‍व प्रेस स्‍वतंत्रता दिवस 2024: क्‍यों हर साल 3 मई को मनाया जाता है विश्‍व प्रेस स्‍वतंत्रता दिवस, जानें कैसे हुई शुरुआत
जब इमरजेंसी लगा कर कांग्रेस की pm इंदिरा गाँधी ने प्रेस का गला घोटा

मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है, इससे समझा जा सकता है कि मीडिया कितना महत्वपूर्ण है. लेकिन पत्रकारिता बहुत जोखिम भरा पेशा है. दुनियाभर में आए दिन पत्रकारों पर जानलेवा हमले होते रहते हैं. मीडिया के महत्व और इस पेशे के खतरों को देखते हुए हर साल 3 मई को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है. इस दिन का उद्देश्य प्रेस की स्वतंत्रता के सिद्धांतों का जश्न मनाना, मीडिया का मूल्यांकन करना और हमलों से उसकी रक्षा करना और साथ ही कर्तव्य के दौरान अपनी जान गंवाने वाले पत्रकारों को श्रद्धांजलि देना है.

world press freedom day 2024 : विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस हर साल 3 मई को मनाया जाता है. विश्वभर में यह दिन मीडिया के योगदानों को याद करने के लिए समर्पित किया जाता है. यह दिवस हमे मीडिया की आजादी के महत्व के बारे में बताता है और पत्रकारों की सुरक्षा के लिए आवाज उठाने के लिए प्रेरित करता है

विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस 2024: थीम
विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस की थीम हर साल बदलती रहती है. इस बार विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस 2024 की थीम ‘ए प्रेस फॉर द प्लैनेट: जर्नलिज्म इन द फेस ऑफ द एनवायर्नमेंटल क्राइसिस’ है.

विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस 2024: इतिहास
विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस की स्थापना 1991 में यूनेस्को के सामान्य सम्मेलन की सिफारिश के बाद संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 1993 में की गई थी. इसे पहली बार 1994 में मनाया गया था. इस दिन का उद्देश्य प्रेस की स्वतंत्रता के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना और श्रद्धांजलि देना है. उन पत्रकारों के लिए जिन्होंने कर्तव्य निभाते हुए अपनी जान गंवाई है.

क्यों मनाया जाता है विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस (Freepik)
गुइलेर्मो कैनो एक प्रसिद्ध इतालवी पत्रकार, लेखक और समाचार संपादक थे. उन्होंने मीडिया की स्वतंत्रता और पत्रकारिता के महत्व को उजागर करने में विशेष भूमिका निभाई थी. गिलर्मो कैनो ने कई विवादास्पद सच्चाइयों को उजागर करने के लिए बड़े जोखिम उठाए उन्होंने अपनी जान की परवाह किए बिना आम लोगों के सामने सच्चाई पेश करने के लिए संघर्ष किया. उनकी प्रेरणा और योगदान का सम्मान करने के लिए, ‘गिलर्मो कैनो वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम अवार्ड’ का जन्म हुआ.

भारत में प्रेस की स्वतंत्रता
भारत में प्रेस की स्वतंत्रता का एक समृद्ध इतिहास है. हालांकि, हाल के वर्षों में पत्रकारों को डराने-धमकाने और गिरफ्तार करने की घटनाए बढ़ी हैं. भारत में पत्रकारों को काम करते समय कई शारीरिक खतरों और सुरक्षा चिंताओं का सामना करना पड़ता है. संवेदनशील मुद्दों पर रिपोर्टिंग करना, भ्रष्टाचार को उजागर करना और सत्ता में बैठे लोगों से निडर होकर सवाल करना उन्हें धमकियों, हिंसा या उत्पीड़न के खतरे में डाल सकता है.
निर्भीक पत्रकारिता करने वालों को समय-समय पर धमकियां मिलती रहती हैं. ये धमकियां राजनीति से अधिक प्रेरित हैं और रेत और भूमि माफिया से आती हैं. पत्रकारों को कभी-कभी अपनी रिपोर्टिंग को विशिष्ट एजेंडे के साथ जोड़ने के दबाव का सामना करना पड़ता है, जिससे निष्पक्ष और वस्तुनिष्ठ कवरेज प्रदान करने की उनकी क्षमता प्रभावित होती है. पत्रकारिता की अखंडता बनाए रखने और जीवंत लोकतंत्र बनाए रखने के लिए पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है.
विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस 2024 मनाने के तरीके

अपने समुदाय में प्रेस स्वतंत्रता कार्यक्रम में भाग लें.
प्रेस की स्वतंत्रता के बारे में कोई किताब या लेख पढ़ें.
प्रेस की स्वतंत्रता के महत्व के बारे में अपने स्थानीय समाचार पत्र या सरकारी अधिकारी को एक पत्र लिखें.
एक स्थानीय स्वतंत्र मीडिया आउटलेट का समर्थन करें.
सोशल मीडिया पर किसी पत्रकार का अनुसरण करें और उनके काम के बारे में अधिक जानें.
किसी ऐसे पत्रकार के बारे में कहानी साझा करें जिसे उनके काम के लिए धमकाया गया या हमला किया गया.
किसी ऐसे संगठन को दान दें जो प्रेस की स्वतंत्रता का समर्थन करता हो.
फोटो – साभार दैनिक भास्कर
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