इंदौर। देशभर के तमाम दूसरे शहरों को पछाड़ते हुए सफाई की हैट्रिक लगाने में इंदौर के जोश, जज्बे और जुनून ने काम किया है। अधिकारियों, इंजीनियरों, सफाई मित्रों और जनता ने मिलकर कचरे को उद्यान और दुर्गंध को सुगंध में तब्दील किया है। शबरी की तरह रात-दिन गलियों को बुहारा है ताकि स्वच्छता के राम उसकी देहरी पर आ सकें। ट्रेंचिंग ग्राउंड पर 30-40 साल से 11 लाख टन से ज्यादा पुराना कचरा फैला था। इसे हटाने के काम से इंदौर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां मिलीं। ट्रेंचिंग ग्राउंड की पहले की तस्वीर और आज की तस्वीर देखकर आप यह अंदाजा लगा सकते हैं।
दीवारों पर चित्त को लुभाने वाले चित्र बनाए हैं, ताकि कोई उन्हें दागदार न करे। घर के कचरे को खाद बनाई है ताकि गमलों में फूल खिल सकें। कॉलोनी, मोहल्ले, सरकारी दफ्तर, स्कूल-कॉलेज, आयोजन स्थल सभी जगह सफाई को संस्कार बनाया है। एक-एक नागरिक ने इस संकल्प को बार-बार दोहराया है-शहर हमारा है, हम इसे सिरमौर बनाएंगे। ऐसे ही जज्बों ने बना दिया देश का नंबर-1 शहर।
146 एकड़ में फैले ट्रेंचिंग ग्राउंड पर शहर से हर दिन निकलने वाले करीब 1100 टन कचरे का प्रबंधन बेहतर तरीके से किया जा रहा है।
1. सबसे पहले ट्रेंचिंग ग्राउंड (लैंडफिल साइट या डंपिंग यार्ड) की आधारभूत सुविधाओं जैसे प्लांट, मशीनरी, सड़क और बिल्डिंग आदि को व्यवस्थित किया गया। पहले सूखा कचरा गीले कचरे में मिलकर आता था। अब यह समस्या खत्म हो गई है। इसके अलावा शहर से निकलने वाले मलबे और वेस्ट मटेरियल से ईंटपेवर ब्लॉक बनाने का प्लांट भी करीब ढाई करोड़ की लागत से स्थापित किया गया है।
2. ग्राउंड पर दो मटेरियल रिकवरी सेंटर शुरू किए गए, जहां रोज 450 टन सूखे कचरे का निपटान होता है। हाई और लो डेंसिटी पॉलिथीन को ग्राउंड पर लगी दो यूनिट में साफ कर रीसाइकिल किया जाता है। प्लास्टिक के कचरे से रॉ मटेरियल तैयार किया जाता है।
3. ट्रेंचिंग ग्राउंड पर पड़ा पुराना 12-15 लाख मीट्रिक टन कचरा निगम के लिए बड़ी समस्या था। अब धीरे-धीरे वैज्ञानिक पद्धति के आधार पर उसका निपटान किया जा रहा है। पुराने कचरे की मिट्टी के इस्तेमाल से ग्राउंड पर आठ बगीचे बनाए गए हैं। पुराने कचरे में बदबू ज्यादा होती है। उसमें बायो कल्चर जैविक पदार्थ डाला जा रहा है जो बदबू तो कम करते ही हैं, कचरे को कंपोस्ट में बदलने की प्रक्रिया भी तेज करते हैं।
4. हर वार्ड में कचरा बीनने वाले करीब 500 लोगों को जोड़ा गया और उन्हें ट्रेंचिंग ग्राउंड पर काम दिया गया। उन्हें प्रशिक्षण सहित सभी जरूरी सुविधाएं व साजोसामान दिए गए।
5. कुछ महीने में मजदूरों से लिया जाने वाला काम स्वचालित मशीनों से लिया जाने लगेगा। ट्रेंचिंग ग्राउंड पर वेस्ट टू एनर्जी प्लांट लगाने की भी योजना है ताकि कचरे से बिजली पैदा की जा सके। कचरा प्रबंधन के लिए निगम के सलाहकार अरशद वारसी बताते हैं भीतरी उपायों के साथ बाहरी सूरत बदलने के लिए चारों ओर बांस लगाए गए हैं, जो बड़े होकर ग्राउंड को परदे की तरह ढंक लेंगे।