नई दिल्ली।
सुप्रीम कोर्ट ने तीन तालक अध्यादेश को चुनौती देने के लिए दायर याचिका को खारिज कर दिया है। गौरतलब है कि तीन तलाक पर लाया गया विधेयक लोकसभा से तो पारित हो गया था, लेकिन वह राज्यसभा में लंबित रहा। विधेयक को संसदीय मंजूरी नहीं मिलने के चलते नया अध्यादेश जारी किया गया था।
बता दें कि यह तीसरा मौका था जब सरकार ने तीन तलाक को अपराध की श्रेणी में रखने के लिए अध्यादेश लाना पड़ा। प्रस्तावित कानून के दुरुपयोग के डर को कम करने के लिए सरकार ने इसमें कुछ निश्चित सुरक्षा उपायों के लिए मुकदमे से पहले आरोपी की जमानत के प्रावधान को इसमें जोड़ा गया है।
यह राज्यसभा में अटका रह गया क्योंकि सरकार के पास वहां बहुमत नहीं है। चूंकि तीन जून को मौजूदा 16वीं लोकसभा का कार्यकाल खत्म हो जाएगा, इसलिए यह विधेयक भी खत्म हो जाएगा।
तीन तलाक अध्यादेश का खास महत्व है। दरअसल महिलाओं में बराबरी के लिहाज से इसे बड़ा हथियार माना जा रहा है। राजनीतिक रूप से भी इसे अहम माना जा रहा है। पहली बार सितंबर 2018 में अध्यादेश लाया गया था,लेकिन विपक्ष ने राज्य सभा में इससे संबंधित विधेयक का रास्ता रोक दिया था। बाद में सरकार कुछ बदलाव के साथ फिर से अध्यादेश लेकर आइ। विधेयक में संशोधन भी हुए लेकिन राज्यसभा मे अड़चन के कारण फिर से विधेयक रद हो गया और उसके साथ ही अध्यादेश भी।