भारत का महिला-पुरूष सेक्स रेश्यो 2018-19 में 2015-16 की तुलना में 8 अंक बढ़कर 931 हो गया है. 2015-16 में यह रेश्यो 923 था. मतलब प्रति एक हजार लड़कों पर 923 लड़कियां (जन्म के वक्त).
ताजा आंकड़ों के मुताबिक, सबसे ज्यादा रेश्यो केरल और छत्तीसगढ़ में है. इन राज्यों में यह आंकड़ा 959 है. इसके बाद मिजोरम (958) और गोवा (954) हैं. लिस्ट में सबसे नीचे दमन-दीव (889), लक्ष्यद्वीप (891) और पंजाब (900) हैं.
2015-16 में यह आंकड़ा 923 था, वहीं 2016-17 में यह बढ़कर 926 पहुंच गया. 2017-18 में महिला-पुरूष रेश्यो में और बढ़त दर्ज हुई और आंकड़ा 929 पहुंच गया.बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ स्कीम हरियाणा से लॉन्च की गई थी. यहां रेश्यो में 27 अंकों का सुधार हुआ है. 2015-16 में राज्य में यह आंकड़ा 887 था, जो अब बढ़कर 914 पहुंच गया है.
2015-16 और 2018-19 के आंकड़ों में तुलना करने पर पता चलता है कि 25 राज्यों (केंद्रशासित राज्य भी शामिल) में रेश्यो बढ़ा है. सबसे ज्यादा उछाल लक्ष्यद्वीप (832 ले 891), अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह (890 से 948), गोवा (918 से 954) और नागालैंड (904 से 936) में आया है.
वहीं 11 राज्यों में सेक्स रेश्यो कम भी हुआ है. सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में सबसे ज्यादा कमी आई है. यह आंकड़े लोकसभा में एक सवाल के जवाब में महिला और बाल विकास मंत्रालय ने दिए. सवाल सरकार की बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ स्कीम से संबंधित था.
पिछले एक साल में 12 राज्यों में कम हुआ सेक्स रेश्यो
21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 2017-18 के मुकाबले सेक्स रेश्यो में बढ़त दर्ज की गई है. इनमें सबसे ज्यादा अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में 51 अंकों का उछाल आया है.2017-18 में अंडमान में सेक्स रेश्यो 897 था, जो बढ़कर अब 948 हो गया है. इसके अलावा सिक्किम (928 से बढ़कर 948), तेलंगाना (925 से बढ़कर 943) में बड़ी बढ़त दर्ज की गई है.
वहीं 12 राज्य ऐसे हैं, जहां 2017-18 की तुलना में सेक्स रेश्यो में कमी आई है. इनमें अरुणाचल प्रदेश में 42 अंकों की कमी (956 से 914) सबसे ज्यादा है. अरुणाचल के बाद जम्मू-कश्मीर (958 से 943) और तमिलनाडु (947 से 936) का नंबर है.