अपने कॉलेज के दिनों में वीर सावरकर को आदर्श मानने वाले बीएल संतोष अब भारतीय जनता पार्टी में तीसरे सबसे कद्दावर शख़्सियत हैं.
कहा जाता है कि उन्होंने हाल के लोक सभा चुनावों में पार्टी को मज़बूत करने के लिए पन्ना प्रमुखों और बूथ प्रमुखों की सेना तैयार की, जिसके लिए उन्हें यह इनाम दिया गया है.
राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) के तौर पर उनकी नियुक्ति वैसे शख़्स की कहानी है जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक साधारण प्रचारक से पार्टी अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री अमित शाह और हाल में कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किए गए जे पी नड्डा के बाद तीसरे सबसे बड़े पद पर पहुंच गए हैं.
कर्नाटक में बीजेपी के विधायक विश्वेश्वर हेगड़े ने बीबीसी हिंदी को बताया, “आरएसएस के ज़मीनी स्तर के कार्यकर्ताओं पर उनकी मज़बूत पकड़ की वजह से बूथ-स्तर के कार्यकर्ताओं और पन्ना प्रमुखों की फौज तैयार करने की नीति को लागू करने में मदद मिली.उन्होंने इसे पहले कर्नाटक में लागू किया और फिर राष्ट्रीय संयुक्त सचिव (संगठन) के तौर इस कॉन्सेप्ट को पूरे देश में फैलाया.”
नाम छिपाने की शर्त पर एक अन्य पार्टी नेता ने बताया, “पहले 2013 के कर्नाटक विधान सभा के चुनाव में उन्होंने बूथ-स्तर के कार्यकर्ताओं को सफलतापूर्वक तैयार किया. इसके ठीक बाद 2014 के चुनाव में भी उन्होंने ऐसा ही किया.”
बल्कि बीबीसी की एक दूसरी रिपोर्ट में संस्था के एक अधिकारी ने बताया था कि “2014 के लोक सभा चुनाव से 2019 के लोक सभा चुनाव तक बीजेपी के बूथ-स्तर के कार्यकर्ताओं की संख्या दो करोड़ से 11 करोड़ तक जा पहुंची.”
ज़मीनी स्तर पर पकड़
नाम ना छापने की शर्त पर पार्टी के एक सदस्य ने बताया, “जब भी वो राष्ट्रीय संयुक्त सचिव (संगठन) के तौर पर कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना और आंध्रप्रदेश जैसे दक्षिणी राज्यों में जाते हैं तो कभी भी दूसरे नेताओं की तरह किसी होटल या गेस्ट हाउस में नहीं रुकते. वो हमेशा संघ या पार्टी के किसी आम कार्यकर्ता के साथ रहते हैं.”
एक दूसरे बीजेपी कार्यकर्ता ने बताया, “उनकी याददाश्त बहुत अच्छी है. वो लोगों के नाम और गांवो के नाम याद रखते हैं. कर्नाटक के कई सुदूर गावों के नाम भी उन्हें पता हैं. वो खुद उनमें से कईयों में रहे भी हैं. उन्होंने संघ की विचारधारा को दूर तक पहुंचाया है और सभी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित किया है.”
संतोष ने कर्नाटक में दावणगेरे के बीडीटी इंजीनियरिंग कॉलेज से इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन किया है.
आरएसएस में फुल टाइम प्रचारक बनने से पहले उन्होंने पब्लिक सेक्टर की एक टेलीकम्यूनिकेशन कंपनी में करीब दो या तीन साल काम किया था.
संघ की विचारधारा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को सबसे पहले कॉलेज के दिनों में नोटिस किया गया.
शायद उनका टेकनिकल बेक्रग्राउंड ही था, जिसकी मदद से वो पार्टी के लिए कर्नाटक और फिर पूरे देश में इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी आर्किटेक्चर स्थापित कर पाए.
वीर सावरकर के प्रशंसक
इंजीनियरिंग कॉलेज में उनसे एक साल सीनियर निकुंज शाह कहते हैं, “वो एक होशियार छात्र थे लेकिन वो संघ की विचारधारा के प्रति प्रतिबद्ध भी थे. हम मॉक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करने की प्रतियोगिता करते थे, जिसमें वो वीर सावरकर बना करते थे.”
विश्वेश्वर हेगड़े कहते हैं, “चीन और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दों पर उनकी पकड़ अच्छी है. बल्कि उन्हें तो इस मसलों का विशेषज्ञ माना जाता है.”
क्या है पसंद और नापसंद
बेंगलुरु सिटी के एक पार्टी कार्यकर्ता ने कहा, “वे पार्टी के ऐसे आदमी हैं जो कट्टर संघ कार्यकर्ता और बाहर से आए कार्यकर्ता के बीच सेतु का काम करते हैं.” वैसे तो बीएल संतोष की संगठनात्मक काबिलियतों के लिए आरएसएस में उन्हें सम्मान की नजरों से देखा जाता लेकिन एक कार्यकर्ता ने बताया, “वे कठोर इंसान हैं, वे सबको विश्वास में लेने में यक़ीन नहीं करते. वे अपने फ़ैसलों को सख़्ती से लागू करने में यक़ीन रखते हैं. वे वास्तविक मायनों में टीम लीडर नहीं हैं.”
बीजेपी एक कार्यकर्ता ने पहचान छिपाने की शर्त के साथ कहा, “संतोष जिन्हें पसंद करते हैं केवल उन्हीं को बढ़ाते हैं. वे काफी सेलेक्टिव हैं. ऐसा नहीं होता तो वे बहुत पहले ही बीएस येदियुरप्पा से आगे निकल गए थे.”
संतोष का प्रभाव कर्नाटक से बाहर तब बढ़ा जब बीजेपी की यहां 2008 में सरकार बनी. उससे दो साल पहले उन्हें राज्य के संगठनात्मक सचिव बनाए गए. जल्द ही लोगों को मालूम हो गया था कि राज्य में पार्टी के तीन धड़े हैं- एक येदियुरप्पा का धड़ा था, तो दूसरा एचएन अनंत कुमार का धड़ा था और तीसरा धड़ा संतोष का था.
इसका अंदाज़ा उस वक्त भी लगा जब पार्टीन ने बेंगलुरू साउथ से अनंत कुमार की पत्नी और सामाजिक कार्यकर्ता तेजस्विनी को अंतिम समय में टिकट नहीं दिया और तेजस्वी सूर्या को उम्मीदवार बनाया गया.
येदियुरप्पा के एक समर्थक कहते हैं, “उन्हें पार्टी ने टिकट देने को भरोसा दिया था लेकिन अंतिम समय में उन्हें नामांकन दाखिल करने नहीं दिया गया.”
भविष्य की योजना
बीजेपी के अंदर यह बात मानी जाती है कि दक्षिण भारत में पार्टी को बढ़ाने वाले बीएल संतोष ही हैं. पार्टी के एक वरिष्ठ नेता बताते हैं, “बीएल संतोष की मदद से पार्टी दक्षिण भारत में अपना विस्तार करना चाहती है और नड्डा जी को उत्तर भारत में लगाना चाहती है. पार्टी की कोशिश यह है कि 2019 में जहां पार्टी को जहां फायदा नहीं हुआ है वहां पार्टी को फायदा हुआ. 2024 के चुनाव में उनका इम्तिहान होगा.”
हालांकि यह माना जा रहा है कि संतोष के आने से राज्य और ज़िला स्तर तक में पुराने लोगों की जगह नए लोगों को मौका मिलेगा. एक नेता ने बताया, “फ़ैसले लेने के लिए एक नई टीम तैयार हो रही है, यह तो तय है.