धनबाद के आईआईटी-आईएसएम में वैसे तो हर साल विद्यार्थी दाखिला लेते हैं और इंजीनियर बनकर निकलते हैं. लेकिन इस बार कुछ ऐसे बच्चों का दाखिला हुआ है, जिन्हें देखकर संस्थान के प्रोफेसर चकित हैं. ये 14 से 15 वर्ष के छात्र- छात्राएं हैं. यह वह उम्र होता है, जब बच्चे मैट्रिक पास कर पाते हैं. लेकिन ये बच्चे आईआईटी- आईएसएम जैसे देश के उच्च संस्थान पहुंचे गये हैं.
दाखिला लेने के उम्र में बनेंगे इंजीनियर
जिस उम्र में अन्य छात्र- छात्राएं आईआईटी- आईएसएम में दाखिला ले पाते हैं, उस उम्र में राजस्थान के चतुर्भुज सिंह और यूपी की ज्योति प्रियदर्शी और छत्तीसगढ़ के योगेन्द्र नाथ सिंह यहां से इंजीनियरिंग की डिग्री लेकर निकल जाएंगे. राजस्थान के अलवर के रहने वाले चतुर्भुज सिंह इस वर्ष आईआईटी-आईएसएम में दाखिला लेने वाले सबसे कम उम्र के छात्र हैं. उन्होंने यहां पेट्रोलियम इंजीनियरिंग में दाखिला लिया है. चतुर्भुज के पिता दालचंद किराल अलवर में कबाड़ का कारोबार करते हैं.
वहीं 15 साल की ज्योति प्रियदर्शी यूपी के लखनऊ की रहने वाली हैं. उनके पिता सुरेश कुमार रायबरेली में शिक्षक और मां मंजू चौधरी गृहिणी हैं. ज्योति ने पहले ही प्रयास में आईआईटी क्वालिफाइ कर लिया. ज्योति को माइनिंग एंड मशीनरी इंजीनियरिंग विभाग में दाखिला मिला है.
छतीसगढ़ के योगेन्द्र नाथ सिंह किसान के बेटे हैं. वहां की सरकार ने उन्हें आईआईटी एग्जाम की तैयारी में मदद की. अब उन्हें काफी कम उम्र में आईआईटी- आईएसएम में पढ़ने का मौका मिला है.
सत्र 2019-20 में आईआईटी- आईएसएम के 15 विभाग में 910 छात्रों ने दाखिला लिया है. 29 जुलाई से नए सत्र के लिए नियमित क्लास शुरू हो गई है.