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दौलत के लिए मशहूर रहे ये नवाब 14 अरब के हीरे को पेपरवेट बनाया था..

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भारत में राजे रजवाड़ों के पास बेहिसाब संपत्ति रही है. नवाबों के वंशजों के बीच दौलत के बंटवारे को लेकर अब भी मुकदमे चल रहे हैं. रामपुर रियासत में नवाबों के वंशजों के बीच संपत्ति के बंटवारे को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है. रामपुर रियासत के प्रॉपर्टी विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट का फैसला बदलते हुए कहा है कि आखिरी नवाब के बाद जिसे गद्दी सौंपी गई, सिर्फ उसका नहीं बल्कि नवाब के सभी वंशजों का प्रॉपर्टी पर हक बनता है. प्रॉपर्टी को लेकर नवाब के वंशजों के बीच अरसे से झगड़ा चल रहा है. संपत्ति भी कोई मामूमी नहीं है, जिसे लेकर कोई अपना दावा छोड़ दे. दरअसल भारत में इतने दौलतमंद नवाब हुए हैं कि उनके साम्राज्य, शानो शौकत और रईसी की किस्से अब भी दिलचस्प लगते हैं. आइए जानते हैं कुछ ऐसे ही नवाबों के बारे में जिनके नवाबी शौक खासे चर्चित रहे हैं.

महमूदाबाद रियासत की रॉयल फैमिली

उत्तर प्रदेश के सीतापुर के पास कभी महमूदाबाद रियासत हुआ करती थी. उनके पास बेहिसाब संपत्ति थी. महमूदाबाद रियासत कभी अवध के नवाबों के अधीन हुआ करती थी. अपनी संपत्ति को लेकर इस रियासत के वंशजों ने सरकार के साथ लंबी लड़ाई लड़ी है. इस रियासत से ताल्लुक रखने वाले मुहम्मद खान पिछले कई वर्षों से अपनी संपत्ति पर हक पाने की लड़ाई लड़ रहे हैं. दरअसल मुहम्मद खान के पिता आमिर अहमद ने 1957 में भारत छोड़कर पाकिस्तान में बसने का फैसला कर लिया. हालांकि उनकी बेगम समेत परिवार के कुछ लोग यहीं रह गए. महमूदाबाद रियासत के पास उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में 3 हजार करोड़ की संपत्ति है. 1968 में सरकार ने एनमी प्रॉपर्टी एक्ट के नाम से एक कानून पारित किया. जिसके मुताबिक दुश्मन देश चले जाने वालों की संपत्ति जब्त करने का प्रावधान था. मुहम्मद खान की प्रॉपर्टी इसी के चलते जब्त कर ली गई. भारत सरकार से अपनी प्रॉपर्टी हासिल करने के लिए इन्होंने लंबी लड़ाई लड़ी.

हैदराबाद के निजाम के पास बेहिसाब संपत्ति हुआ करती थी. रियासत के खत्म होने के बाद अब भी इसके वंशजों के पास काफी प्रॉपर्टी है. इस रियासत के बारे में कई दिलचस्प किस्से हैं. हैदराबाद के निजाम मीर साहब को 2008 में फोर्ब्स ने दुनिया के दौलतमंद लोगों में से एक माना. फोर्ब्स के मुताबिक वो दुनिया के पांचवे दौलतमंद शख्स हैं. उस वक्त बिल गेट्स को 20वें नंबर पर रखा गया था.आजादी से पहले 1930 से लेकर 1940 तक उनके पास सबसे ज्यादा संपत्ति थी. 130 अरब की दौलत के साथ वो दुनिया के सबसे अमीर शख्स थे. हैदराबाद के निजाम मीर ओस्मान अली खान के एक शौक की खासी चर्चा होती है. वो 185 कैरेट के एक हीरे का इस्तेमाल पेपर वेट के तौर पर करते थे. उसकी कीमत करीब 4 अरब रुपए थे.

नवाबों को उनके नवाबी शौक के लिए जाना जाता रहा है. मसलन मीर उस्मान अली खान के पास सबसे ज्यादा नौकर चाकर थे. दुनिया में ऐसा कोई शख्स नहीं हुआ, जितने अपने पास कर्मचारियों की इतनी बड़ी फौज रखी हो. 1967 में जब उनकी मौत हुई तो नवाब साहब के पास 14 हजार से ज्यादा कर्मचारी थे. तीन हजार कर्मचारी तो सिर्फ महल की सुरक्षा के लिए रखे गए थे. इनमें से 28 कर्मचारी सिर्फ पानी पिलाने का काम करते थे. नवाब साहब के शौक ऐसे थे कि कई कर्मचारियों को उन्होंने अपने लिए पान बनाने के दौरान सुपारी तोड़ने के लिए रखे हुए थे.

जूनागढ़ के नवाब का जानवरों से प्रेम

जूनागढ़ के नवाब मुहम्मद महाबत खानजी, जिन्हें रसूल खानजी भी कहा जाता है, का शौक खासा चर्चित है. वो जूनागढ़ के अंतिम नवाब माने जाते हैं. उनमें जानवरो से बेहद लगाव था. उन्होंने दुनियाभर से लाकर जानवर पाल रखे थे. पूरे जीवन में उन्होंने 300 कुत्ते पाले. अपने सबसे पसंदीदा कुत्तों के जन्मदिन भी मनाए. उनकी शादियां करवाईं और इसके लिए भव्य आयोजन भी करवाए. नवाब मियां के इस शौक के सभी कायल थे. उन्होंने जंगली जानवरों के अस्तित्व को बचाए रखने का काम भी किया.

अवध के नवाब की नेक नीयती

अवध के नवाब मुहम्मद याहिया मिर्जा असफ उद दौला अपनी नेक नीयती के लिए चर्चित हुए. ब्रिटिश सरकार ने 1738 में उन्हें अवध का नवाब घोषित किया था. कहा जाता है कि इनके रियासत में भीषण अकाल पड़ा. अकाल से लोगों को बचाने के लिए इन्होंने इमामबाड़े का निर्माण करवाना शुरू कर दिया. इससे लोगों को रोजगार मिला और उनके भूखे मरने की नौबत नहीं आई.

इमामबाड़े के निर्माण में 20 हजार लोगों को लगाया गया था. उन्होंने इसे बनाने में लगे मजदूरों को ये यकीन दिलाया था कि जब तक अकाल खत्म नहीं होता, इमामबाड़े में काम चलता रहेगा. लखनऊ में स्थित बड़ा इमामबाड़ा आज भी काफी प्रसिद्ध है. इसे भूल भुलैया के नाम से भी जाना जाता है.