Facebook-WhatsApp को आधार से लिंक करने के मामले पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. Facebook और WhatsApp की तरफ से कहा गया कि कुल चार याचिकाएं दाखिल हुई हैं. इनमें से दो मद्रास में, एक ओडिशा में और एक मुंबई में. अपने पक्ष में कंपनी ने कहा कि लाखों कानून हैं जिनका पालन उसे करना पड़ता है. करोड़ों यूजर्स हैं.
WhatsApp की तरफ से कहा गया कि मद्रास हाई कोर्ट में केंद्र सरकार ने हलफनामा दायर कर कहा कि वह इस मामले को देख रही है. सरकार ने कहा कि वो इस मामले में गाइडलाइन जारी करेगी. WhatsApp की ओर से जिरह करते हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि ‘पॉलिसी मामले को हाई कोर्ट कैसे तय कर सकती है? ये संसद के अधिकार क्षेत्र में आता है.’
Facebook-WhatsApp ने कहा कि सभी मामलों को सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर किया जाए. वही इन मामलों को सुने और उनका निपटारा करे. उसकी तरफ से सिब्बल ने कहा कि ‘ऐसा न हो कि एक हाई कोर्ट कुछ आदेश पारित करे और दूसरा हाई कोर्ट कुछ और. उन्होंने कहा कि ये ग्लोबल मामला है.’
जब अटॉर्नी जनरल ने किया Blue Whale का जिक्र
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि डार्क वेब Blue Whale से ज्यादा खतरनाक है, हमने सुना है. आज कल टेक्नोलॉजी में आपस में ही प्रतिस्पर्धा है आगे निकलने की.
- अटॉर्नी जनरल ने जवाब देते हुए कहा कि ‘हमारे पास वो मैकेनिज्म नहीं है कि ओरिजिनेटर का पता लगा पाएं. आप ये देखिए Blue Whale के जरिये भारत में कितने लोग मर गए. आज तक इसका पता नही चल पाया कि इसे किसने बनाया था.’
- अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपालन ने अदालत में कहा कि Blue Whale को लेकर अभी भी पता लगाया जा रहा है कि इसको किसने बनाया था. ये बेहद गंभी मामला है. इसपर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि किन शर्तो पर जानकारी साझा की जाए? ये सारे सवाल भी कोर्ट के सामने हैं. क्रिमिनल मामले में कई प्रोसीजर है जिससे अपराधी तक पहुंचा जा सकता है.