शोधकर्ताओं की माने तो उन्होंने अंडे के छिलके से हड्डी का इंप्लांट बनाने की प्रक्रिया विकसित की है। यह शोधकर्ता है इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आइआइटी) हैदराबाद और डॉ बीआर आंबेडकर नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एनआइटी) जालंधर के। अध्ययनकर्ताओं ने जानकारी दी कि वे हड्डी की सब्स्टीट्यूट सामग्री जैसे कि ट्राइकैल्शियम फॉस्फेट (टीसीपी) को बिना किसी जहरीले रसायन का प्रयोग किए प्राकृतिक स्रोत से बनाना चाहते थे। शोधकर्ताओं ने बताया कि उनकी नजर में सामग्री बनाने के लिए सबसे बड़ा प्राकृतिक स्रोत अंडे के छिलका था। अंडे के छिलके में अधिकतर कैल्शियम से युक्त मिनरल (95।1 प्रतिशत) होते हैं।इसके साथ ही प्रोटीन और पानी भी होता है। आधुनिक चिकित्सा में हड्डी के टूटने पर या उसे हटाए जाने पर या तो किसी दाता से उसे लिया जाता है या फिर कृत्रिम सामग्री का उपयोग करके बनाया जाता है। कृत्रिम सामग्री जैसे कि प्लास्टर ऑफ पेरिस और कैल्शियम फास्फेट आदि हैं।शोधकर्ताओं के अनुसार अंडे के छिलके से बने बॉयो सेरेमिक में अन्य सेंथेटिक पाउडर के मुकाबले स्वाभाविक रूप से ज्यादा जैव अनुकूलता होती है। अंडे के छिलके में जैव सक्रिय आयन तत्व पाए जाते हैं।
शोधकर्ताओं ने अंडे के छिलकों से ट्राइकैल्शियम फॉस्फेट (टीसीपी) नौनोपाउडर तैयार किया है। सक्रिय कैल्शियम फॉस्फेट पाउडर के उत्पादन के लिए उन्होंने एक मिलिंग प्रक्रिया का इस्तेमाल किया जिसे बॉल मिलिंग कहा जाता है। उन्होंने बताया कि अंडे के खोल के कचरे से बनी सामग्री व्यावसायिक रूप से उपलब्ध टीसीपी का स्थान ले सकती है।इसके अलावा कैल्शियम से दांत व हड्डियां मजबूत होती हैं। अंडे खाने से शरीर को जरूरी अमीनो एसिड मिलता है जो स्टैमिना बढ़ता है।
अंडे में विटामिन ए पाया जाता है जो बालों को मजबूत बनाने के साथ आंखों की रोशनी भी बढ़ाता है। अंडे में मिलने वाला फोलिक एसिड व विटामिन बी-12 स्तन कैंसर से बचाता है। विटामिन बी-12 दिमागी प्रक्रिया को तेज करता है और स्मरण शक्ति बढ़ाता है। इससे पहले के अध्ययन में अंडे को प्रोटीन, कैल्शियम व ओमेगा-3 फैटी एसिड का अच्छा स्रोत माना गया है। यह सभी पोषक तत्व हमारे शरीर के लिए जरूरी होते हैं।