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मंदी के डर से कहीं ताले तो कहीं छुट्टी, कई कारखाने बंद, श्रमिकों को भेजा जा रहा घर

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को बैंकों के लिए सत्तर हजार करोड़ रुपये के पैकेज सहित कई आर्थिक रियायतों की घोषणा की। इस पर बाजार का रुख क्या रहेगा यह तो सोमवार को सामने आ जाएगा, मगर जिन लोगों पर आर्थिक सुस्ती की मार पड़ चुकी है उनके लिए यह फैसले कितने जीवनदायी साबित होंगे ये देखना होगा। सीतारमण ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि भारत में मंदी के हालात नहीं हैं और हमारी स्थिति अन्य मुल्कों से कहीं बेहतर है, हालांकि जमीनी हकीकत बहुत अच्छी तस्वीर पेश नहीं कर रही।

वाराणसी में कई कारखाने बंद हैं, उत्तराखंड और नोएडा में श्रमिकों को छुट्टी पर भेजा रहा है। आगरा के होटल और जूता कारोबारी मायूस हैं। कमोबेश यही हालात मेरठ, कानपुर और लखनऊ का भी है। ऑटो सेक्टर की हालत तो पहले ही खस्ता थी अब कपड़ा सेक्टर में भी उत्पादन घटाया जा रहा है।

घर बैठना पड़ रहा : आगरा में पांच सेक्टर (पर्यटन, फुटवियर, हस्तशिल्प, चांदी-पायल, रिटेल) मुख्य हैं। पिछले तीन साल में किसी इकाई ने पंजीकरण रद नहीं कराया है, लेकिन हालात चिंताजनक नजर आ रहे हैं। पर्यटन की बात करें तो इस बार होटलों की बुकिंग सितारा होटलों में 30 प्रतिशत और बजट होटलों में 50 प्रतिशत तक गिर गई। कारोबार अच्छा नहीं होने की वजह से एक हजार से ज्यादा लोगों को घर बैठना पड़ा है।

आगरा टूरिस्ट वेलफेयर चैंबर के अध्यक्ष प्रहलाद अग्रवाल के मुताबिक, मध्यम श्रेणी के होटलों को अपने रोजमर्रा के खर्च निकालना भी मुश्किल हो रहा है। ताजनगरी के फुटवियर उद्योग में भी यही स्थिति है। उधारी अटक जाने से 1000 सप्लायर घर बैठ गए हैं। लगभग 4000 अस्थाई श्रमिकों को फैक्ट्री में रक्षाबंधन के बाद से काम नहीं मिला। हस्तशिल्प उत्पादों के विक्रेताओं की स्थिति भी ठीक नहीं है।

ऑटो सेक्टर 
15,000 तक नौकरियां चली गईं तीन महीने में एसआईएएम के मुताबिक

नौकरी गंवाने वालों में अधिकतर अस्थायी कर्मचारी शामिल 
10.65% उत्पादन घटा सभी वाहनों का अप्रैल-जुलाई 2018 की तुलना में
21.56% ब्रिकी घट गई यात्री वाहनों की अप्रैल-जुलाई 2019 के दौरान
7.50% जीडीपी और 49% हिस्सेदारी मैन्यूफैक्चरिंग में ऑटो सेक्टर की
10 लाख तक नौकरियां जाने की आशंका जताई जा रही इस सेक्टर में

ऑटो मोबाइल कंपनी में एक हफ्ते की छुट्टी 
ग्रेटर नोएडा के हबीबपुर गांव के पास ऑटोमोबाइल की एक बड़ी कंपनी में कर्मचारियों को एक-एक सप्ताह के लिए छुट्टी दी गई है। एक दूसरी विदेशी कंपनी जो बीयरिंग बनाती थी उसमें भी एक सप्ताह के लिए घर भेज दिया गया है। कर्मचारियों का कहना है कि पहले इस तरह की छुट्टी कभी नहीं दी गई।

कताई उद्योग का उत्पादन एक-तिहाई घटा 
ऑटो सेक्टर के बाद अब कपड़ा उद्योग में भी मंदी का असर दिखने लगा है। प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष तौर पर दस करोड़ रोजगार देने वाले कताई उद्योग के उत्पादन में एक-तिहाई तक कमी आई है। संकट से उबरने के लिए सूती धागा तैयार करने वाली कताई मिलों ने हफ्ते में एक दिन उत्पादन भी बंद रखने का फैसला लिया है। उत्तर भारत कपड़ा मिल संघ के मुताबिक 102 मिल उनके साथ पंजीकृत हैं, जिनमें से 15 अपना पंजीकरण रद्द करवा चुकी हैं।

संघ ने इस स्थिति पर अखबारों में विज्ञापन देकर भी सरकार का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश की थी। संघ ने बताया कि हफ्ते में एक दिन मिल बंद रखने से उत्पादन में 15 फीसदी तक की कमी आती है। एसोसिएशन के उपाध्यक्ष मुकेश त्यागी के मुताबिक जिस तरह आज ऑटो इंडस्ट्री के हाल पर बात हो रही है, कताई उद्योग पर भी बात हो।

विदेशी आयात चुनौती बना 
संघ का कहना है कि भारत में कपास के दाम अंतरराष्ट्रीय बाजार से अधिक हैं। इस वजह से तैयार सूती धागा भी महंगा पड़ता है और निर्यात घट रहा है। श्रीलंका और इंडोनेशिया में सूती धागा सस्ता है, इसलिए मिलें इनका निर्यात कर रही हैं। इसी तरह बांग्लादेश से कपड़ा भी सस्ते दामों पर निर्यात किया जा रहा है।

* 34% घट गया सूती धागे का निर्यात साल की दूसरी तिमाही में।
* 696 करोड़ डॉलर रह गया 1063 करोड़ डॉलर से घटकर।

दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक 
भारत का टैक्सटाइल सेक्टर बड़ी मात्रा में कताई उद्योग पर निर्भर करता है। दुनिया में सूती धागे का सबसे ज्यादा उत्पादन चीन के बाद भारत में होता है।

बैंकिंग 
9,49,279 करोड़ रुपये के एनपीए (गैर निष्पादित ) भारतीय बैंकिंग व्यवस्था में
* 50 फीसदी हिस्सा तो महज 150 बड़े पूंजीपतियों की वजह से

आर्थिक विकास दर 
* 5 साल के न्यूनतम स्तर पर जीडीपी वृद्धि दर।
* 5.8 प्रतिशत थी जनवरी-मार्च तिमाही में जीडीपी की दर।
* 6.2 प्रतिशत आंकी गई है 2018-19 के लिए आपेक्षित वार्षिक जीडीपी दर, जो पिछले वर्ष से कम।
* 07 फीसदी जीडीपी रहने का अनुमान वित्त वर्ष 2019-20 में आईएमएफ का।