भाजपा प्रत्याशी युवराज सिंह को भले ही पूरे विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं ने हाथों हाथ लेकर विजयश्री दिलाने का काम किया हो, लेकिन भाजपा नेताओं के गांवों में पार्टी को पराजय मिली है। केंद्रीय राज्यमंत्री साध्वी निरंजन ज्योति के पैतृक गांव पत्योरा में तो भाजपा कांग्रेस के मुकाबले पराजित हो गई। केंद्रीय राज्यमंत्री निरजंन ज्योति के पैतृक गांव पत्योरा में भाजपा को 283, सपा को 258, बसपा को 136 तथा कांग्रेस को 440 मत प्राप्त किए। यहां पर भाजपा प्रत्याशी कांग्रेस से 157 मतों से पीछे रहे। इसी तरह भाजपा के मंडल अध्यक्ष अर्जुन सिंह अपने गांव बंडा में पार्टी को नहीं जिता सके। भाजपा के मंडल अध्यक्ष अर्जुन सिंह के गांव बंडा में भाजपा को 255, सपा को 263 तथा बसपा को 177 व कांग्रेस को 11 मत मिले।
यहां पर भाजपा को सपा नै 8 मतों से पीछे किया। सबसे बुरा हाल कांग्रेस का कस्बा भरुआ सुमेरपुर में हुआ। कस्बे में विकास पुरुष की छवि रखने वाले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता खुद कांग्रेस के चुनाव चिह्न पर चेयरमैन बने, मगर विधानसभा उपचुनाव में वह कांग्रेस प्रत्याशी को 500 मत भी नहीं दिला सके और कांग्रेस को कस्बे में शर्मनाक पराजय का सामना करना पड़ा।
यहां कांग्रेस के सभी बड़े नेताओं को उम्मीद थी कि कस्बे में कांग्रेस का चेयरमैन है। इसलिए पार्टी यहां बेहतर प्रदर्शन करेगी। कांग्रेस प्रत्याशी को कस्बे में महज 398 मत ही प्राप्त हो सके। सपा को 2198, बसपा को 1903 तथा भाजपा को 6091 मत प्राप्त हुए।
तमाम कयासों एवं अनुमानों को दरकिनार कर सपा अपने पुराने घर बचाने में सफल रही। सपा प्रत्याशी डॉ. मनोज कुमार प्रजापति को अपने पैतृक गांव पौथिया में भरपूर समर्थन मिला। सपा को 1485, भाजपा को 650, बसपा को 80 एवं कांग्रेस को 55 मत मिले। वहीं दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री बाबूराम निषाद अपने पैतृक गांव मोराकांदर परसनी में भाजपा को जिताने में सफल रहे।