देश की आंतरिक सुरक्षा और खुफिया जानकारियों के लीक होने से रोकने के लिए केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. केंद्र ने सिविल सेवकों के पेंशन नियमों (Central Civil Services Pension Rules, 1972) में बदलाव
किया है. अब खुफिया या सुरक्षा एजेंसियों से रिटायर होने वाले अधिकारियों को बिना सरकार की इजाजत के सोशल मीडिया या अखबार पर कुछ भी लिख या प्रकाशित नहीं कर सकते हैं. ऐसा करने पर उनकी पेंशन रोक दी जाएगी.
सिविल सेवा पेंशन नियम 1972 में नए संशोधनों के मुताबिक, अब किसी भी खुफिया या सुरक्षा से संबंधित संगठन के अधिकारियों को एक अंडरटेकिंग देनी होगा कि वे सेवा में रहते हुए या सेवानिवृत्ति के बाद संगठन से संबंधित कोई भी जानकारी प्रकाशित नहीं करेंगे, किसी भी सामग्री को प्रकाशित करने के लिए उन्हें पूर्व अनुमति लेनी होगी. अगर सेवानिवृत्ति के बाद अफसर बिना इजाजत कुछ लिखता है तो उसके पेंशन को रोका जा सकता है.
ये है नया नियम?केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 1972 में संशोधन करते हुए डीओपीटी ने एक क्लॉज जोड़ा है. इसमें कहा गया है कि सेवानिवृत्ति पर आरटीआई अधिनियम की दूसरी अनुसूची में उल्लिखित संगठनों में काम करने वालों को ऑर्गेनाइजेशन के प्रमुख से पूर्व मंजूरी के बिना संगठन के डोमेन से संबंधित कुछ भी प्रकाशित करने की अनुमति नहीं होगी.
पेंशन से जुड़ा सरकार का नया नियम इंटेलीजेंस ब्यूरो, रिसर्च एंड एनालिसिस विंग, राजस्व खुफिया निदेशालय, सेंट्रल इकोनॉमिक इंटेलीजेंस ब्यूरो, प्रवर्तन निदेशालय, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, एविएशन रिसर्च सेंटर, स्पेशल फ्रंटियर फोर्स, सीमा सुरक्षा बल, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल, इंडो-तिब्बत बॉर्डर पुलिस, केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल, नेशनल सिक्योरिटी गार्ड, असम राइफल्स, सशस्त्र सीमा बल, स्पेशल ब्रांच (सीआईडी),अंडमान और निकोबार, क्राइम ब्रांच-सीआईडी-सीबी, दादरा और नगर हवेली, स्पेशल ब्रांच, लक्षद्वीप पुलिस, स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन, बॉर्डर रोड डेवलपमेंट बोर्ड और फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट और सीबीआई पर लागू होगा.