साल 2020 में कोरोना (Corona)-लॉकडाउन (Lockdown) के दौरान बैंकों से ब्याज माफी कराने वाला चश्मा व्यापारी एक बार फिर कोर्ट गया है. लेकिन इस बार उस व्यापारी की लड़ाई प्राइवेट अस्पतालों (Private Hospital) से है. कोरोना के इलाज के नाम पर अनाप-शनाप बिल वसूलने वाले अस्पतालों के खिलाफ इस चश्मा व्यापारी ने एक याचिका दाखिल की थी. इलाहाबाद हाईकोर्ट (High Court) ने इस याचिका को स्वीकार कर लिया है. व्यापारी का आरोप है कि कोरोना इलाज के लिए सरकार ने हर तरह की फीस पहले ही तय कर दी है, बावजूद इसके अस्पताल वाले 40 से 50 गुना तक वसूले रहे हैं. कई जगह पुलिस (Police)-प्रशासन ने दखल देकर ज्यादा वसूली गई फीस वापस भी कराई है.
चश्मा व्यापारी हैं याचिका दाखिल करने वाले गजेन्द्र शर्मा
गजेन्द्र शर्मा आगरा, यूपी के रहने वाले हैं और पेशे से एक चश्मा व्यापारी हैं. समस्या व्यापारी की हो या आम जनता की, गलत काम और गलत बात गजेन्द्र शर्मा को कचोटती है. गजेन्द्र शर्मा का कहना है कि जब कोरोना महामारी के वक्त आम इंसान से लेकर एक पैसे वाला वर्ग तक परेशान था तो कुछ प्राइवेट अस्पताल वालों की लूट उसे और परेशान कर रही थी.
कोरोना इलाज का खर्च सरकार की तरफ से तय होने के बाद भी अवैध रूप से ज्यादा वसूला जा रहा था. कई बार तो ऐसा देखने में आया कि कोरोना के इलाज का बिल 8 से 10 लाख रुपये तक का बना दिया गया. इतना ही नहीं जब तक बिल जमा नहीं हो गया तो अस्पताल वालों ने मरीज का शव देने तक से मना कर दिया.ग्राम पंचायत की 47 सीट पर 12 जून को दोबारा डाले जाएंगे वोट, जानिए वजह
इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल की है याचिका
गजेन्द्र शर्मा खुद तो एक व्यापारी हैं, लेकिन उनका बेटा राहुल शर्मा पेशे से वकील है. गजेन्द्र शर्मा ने याचिका दाखिल करने के लिए अपने बेटे की मदद ली है. इससे पहले भी बेटा राहुल एक और याचिका में अपने पिता की मदद कर चुका है. गजेन्द्र शर्मा की याचिका को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंजूर कर लिया है. अब उस पर सुनवाई शुरु होनी है.
गजेन्द्र शर्मा का कहना है कि जब पुलिस-प्रशासन के दखल देने पर कुछ अस्पताल वालों ने ज्यादा ली गई फीस माफ की है तो उनके खिलाफ कार्रावाई भी होनी चाहिए. वहीं दूसरी ओर बहुत सारे ऐसे लोग भी हैं जिनकी फरियाद कहीं सुनी ही नहीं गई. उनसे भी ज्यादा फीस वसूली गई. ऐसे लोगों को भी राहत मिलनी चाहिए.
गजेन्द्र शर्मा का कहना है कि जब पुलिस-प्रशासन के दखल देने पर कुछ अस्पताल वालों ने ज्यादा ली गई फीस माफ की है तो उनके खिलाफ कार्रावाई भी होनी चाहिए. वहीं दूसरी ओर बहुत सारे ऐसे लोग भी हैं जिनकी फरियाद कहीं सुनी ही नहीं गई. उनसे भी ज्यादा फीस वसूली गई. ऐसे लोगों को भी राहत मिलनी चाहिए.