छत्तीसगढ़ के गरियाबंद में एक पटवारी ने तहसील की ही जमीन का सौदा कर दिया। उसके फर्जी दस्तावेज तैयार कर जमीन किसी अन्य के नाम दिखाई और फिर उसे बेच दिया। 7 साल बाद जब उस सरकारी जमीन पर निर्माण कार्य शुरू हुआ तो फ्रॉड सामने आया। मामले की जांच के बाद पुलिस ने आरोपी पटवारी सहित दो लोगों को गिरफ्तार किया है। वहीं एक अन्य आरोपी की पहले मौत हो चुकी है। मामला छुरा थाना क्षेत्र का है।
जानकारी के मुताबिक, प्रदीप पांडेय और भूपेंद्र सेन ने साल 2014 में तहसील कार्यालय के पीछे राजापारा निवासी रमेशर व बिसेशर से खसरा नंबर 121 की 0.07 हेक्टेयर जमीन खरीदी थी। इस जमीन के लिए दोनों ने 60-60 हजार में सौदा किया था। आरोप है कि इसके बाद जब इस भूमि पर दोनों ने निर्माण कार्य शुरू कराया तो पता चला कि वह सरकारी जमीन है। धोखाधड़ी का अहसास होने पर दोनों ने थाने में मामला दर्ज कराया।
फर्जी दस्तावेज तैयार कर जमीन का नामांतरण किया गया
पुलिस ने जांच शुरू की तो पता चला कि रमेशर और बिसेशर ने पटवारी नटेश्वर नायडू के साथ मिलकर इस पूरे मामले को अंजाम दिया है। सरकारी जमीन के फर्जी तरीके से दस्तावेज तैयार किए गए और फिर रमेशर व बिसेशर के नाम पर नामांतरण किया गया। आरोपी पटवारी ने उनके नाम पर ऋण पुस्तिका भी जारी कर दी। उसके बाद आरोपियों ने इस जमीन को प्रदीप पांडेय और भूपेन्द्र सेन को बेच दिया था।
एक आरोपी की पहले ही मौत हो चुकी
जांच में भूमिका सामने आने के बाद पुलिस ने पटवारी नटेश्वर नायडू और शहर के राजापारा निवासी रमेशर को गिरफ्तार कर लिया। वहीं एक अन्य आरोपी बिसेशर की पहले ही मौत हो चुकी है। दोनों आरोपियों को पुलिस ने कोर्ट में पेश किया। जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया है। जिस जमीन के धोखाधड़ी का मामला है, उसकी कीमत लाखों रुपए बताई जा रही है।