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कॉपर का ‘फ्यूचर’

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बिजनेस डेस्क (नरेश अरोड़ा): डॉलर इंडैक्स में उछाल के कारण भले ही जून महीने में कॉपर की कीमतों में गिरावट देखने को मिल रही है लेकिन ग्रीन एनर्जी की तरफ बढ़ रही दुनिया में कॉपर का फ्यूचर (भविष्य) सोने की तरह चमकने वाला है। इंटरनैशनल कॉपर स्टडी ग्रुप की रिपोर्ट से कॉपर के आने वाले सुनहरे भविष्य के संकेत मिले हैं। रिपोर्ट के मुताबिक इस साल की पहली तिमाही में कॉपर की माइनिंग 3.7 प्रतिशत बढ़ी है। इसके अलावा वेस्टर्न कॉपर एन्ड गोल्ड की रिपोर्ट में भी कॉपर की मांग बढ़ने की भविष्वाणी की गई है।

धरती के तापमान को 2 डिग्री सैल्सियस तक रखने का लक्ष्य हासिल करने के लिए दुनिया कोयले और पेट्रोल, डीजल की खपत कम करके रिन्यूएबल एनर्जी की तरफ बढ़ेगी जिससे कॉपर की मांग में तेजी आएगी।

लंदन मैटल एक्सचेंज पर पिछले साल एक टन कॉपर का भाव करीब 5900 डॉलर था जो इस साल मई महीने में बढ़कर 10700 डॉलर को पार कर गया, हालांकि जून महीने में कॉपर की कीमतों में गिरावट देखने को मिल रही है और कॉपर के दाम अब गिर कर 9 हजार डॉलर प्रति टन के करीब पहुंच गए हैं लेकिन यह गिरावट अस्थाई मानी जा रही है और आने वाले महीनों में कॉपर की कीमतों में और तेजी के आसार हैं।

एक मिलियन टन बढ़ानी पड़ेगी कॉपर की आपूर्ति
दुनिया की दिग्गज कोमोडिटी ट्रेडिंग कंपनी ग्लेनकोर के सी.ई.ओ. इवान ग्लेसनबर्ग ने कतर इकनॉमिक फोरम में अपने संबोधन के दौरान कहा कि दुनिया में इस समय कॉपर की मांग 30 मिलियन टन प्रति वर्ष है और 2050 तक यह मांग बढ़कर 60 मिलियन टन प्रति वर्ष हो जाएगी और इसे पूरा करने के लिए हमें हर साल कॉपर की आपूर्ति एक मिलियन टन बढ़ानी पड़ेगी। दुनिया में पिछले 10 साल के दौरान सिर्फ 5 लाख टन प्रति टन के कॉपर उत्पादन की ही वृद्धि हुई है और इसे बढ़ाने के लिए हमारे पास बहुत ज्यादा प्रॉजेक्ट्स नहीं हैं, लिहाजा आने वाले समय में कॉपर के दामों में तेजी ही देखने को मिल सकती है।

2025 तक दोगुनी होगी कॉपर की मांगः वुड मेकेंजी
मैटल्स पर रिसर्च करने वाली दुनिया की जानी-मानी कंपनी वुड मेकेंजी की रिपोर्ट के मुताबिक 2020 में रिन्यूबल एनर्जी सैक्टर में कॉपर की मांग करीब 4 मिलियन टन थी जो 2025 में बढ़कर 8.6 मिलियन टन हो जाएगी और इसमें दोगुना से ज्यादा तेजी आने के आसार है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2030 तक सिर्फ एनर्जी सेक्टर में ही 15.1 मिलियन टन कॉपर की जरूरत होगी और इसके लिए कॉपर उत्पादन की नई खदानें शुरू करनी पड़ेंगी, लिहाजा इस से कीमतों में तेजी का रुख बना रह सकता है।

बदलेगी मंगल की चाल, कॉपर में आएगी तेजी
कॉपर की कीमतों को लेकर बाजार के जानकारों द्वारा किए गए विश्वलेषण को गृहों की चाल से भी समर्थन मिल रहा है। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक मंगल गृह को कॉपर का कारक गृह माना गया है और मंगल 2 जून से अपनी नीच राशि कर्क में गोचर कर रहे हैं और इस पर मकर राशि में वक्री अवस्था में गोचर कर रहे शनि की सीढ़ी दृष्टि भी पड़ रही है। मंगल के चन्द्रमा की जल तत्व राशि में होने के कारण भी कीमतों में उतर-चढ़ाव देखने को मिल रहा है। 20 जुलाई को मंगल के चाल बदल कर अग्नि तत्व राशि सिंह में आते ही कॉपर की कीमतों में तेजी देखने को मिलेगी और इस साल संवत का राजा मंगल होने के कारण अगले साल अप्रैल तक कॉपर की कीमतों में तेजी का रुख रहेगा।