कामों के लिए विभिन्न कंपनियों ने सीएसआर मद से मेडिकल कॉलेज की मरम्मत के लिए कुछ करोड़ रुपए देने की मंजूरी प्रदान की है। पैसा मिलने के बाद सिम्स अधीक्षक डॉ. पुनीत भारद्वाज ने दीवारों पर फूटी दरारें, सीपेज सहित भवन मरम्मत के कई काम करने के लिए छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कॉर्पोरेशन को पत्र लिखा है।कि बारिश के मौसम में बिल्डिंग में सीपेज की समस्या बढ़ जाती है। समय पर मरम्मत हो जाने से यह समस्याएं और गंभीर नहीं होंगी। इन कामों के संबंध में आप हमें अपना एक प्रस्ताव बनाकर दें ताकि हम सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सीएसआर मद से जो राशि सिम्स को मिल रही है ऐसा सीएसआर मद से आए पैसों के साथ भेजी गई चिट्ठी में लिखा है।कि सीजीएमएससी निर्माण कार्य कराने के एवज में जो हमेशा की तरह 5 फीसदी सर्विस चार्ज लेता है, वह नहीं दिया जाएगा वह अस्पताल आने वाले मरीज और आम लोगों के हित यानी जनहित पर खर्च के लिए दिए जा रहे हैं।अधीक्षक ने सीजी-एमएससी को भी यह जानकारी देते हुए मरम्मत कार्य कराने के लिए तीन बार चिट्ठी लिखी लेकिन सीजीएमएससी ने इस पत्र का जवाब एक बार भी अधीक्षक को नहीं दिया। उनका कहना है कि तीन बार पत्र लिखने के बाद भी सीजीएमएससी ने अपना जवाब हमें नहीं भेजा है।
जो अपने खर्चे सरकार से नहीं मांगती है। इसलिए वह जो भी काम कराती है उसके एवज में 5 प्रतिशत सर्विस चार्ज जुड़ा रहता है। लेकिन सीएसआर से जो राशि आई है वह जनहित के लिए दी गई है। इसलिए उन्होंने सर्विस चार्ज देने से मना कर दिया है।कि जनहित के लिए किए जाने वाले कामों के लिए अगर कमीशन नहीं मिलेगा तो क्या आपका काम ही नहीं करेंगे? तीन बार अधीक्षक की चिट्ठी मिलने के बाद भी अफसर क्यों जवाब नहीं दे रहे हैं? सीजीएमएससी सरकार की अंडरटेकिंग कंपनी है। पहले यह कंपनी सिर्फ मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल और स्वास्थ्य विभाग के अस्पतालों को दवाइयां सहित स्वास्थ्य सुविधाओं में काम आने वाली चीजों को उपलब्ध कराती थी। लेकिन सरकार ने 2013 में इस कंपनी को अस्पताल से होने वाले निर्माण कार्य करने की अनुमति भी दे दी। तब से यह नियम बन गया कि अस्पताल में जो भी निर्माण कार्य होंगे। तो यह जानकारी उन्हें अस्पताल या कोई भी सरकारी संस्था को देनी होगी।