भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी किए गए आंकड़े के मुताबिक 2021 के मार्च महीने की समाप्ति पर भारत का विदेशी कर्ज एक साल पहले से 11.5 अरब डॉलर बढ़ कर 570 अरब डॉलर हो गया।
मार्च की समाप्ति पर विदेशी कर्ज सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 21.1 प्रतिशत था। यह अनुपात एक साल पहले 20.6 प्रतिशत था।
रिजर्व बैंक ने कहा, “भारतीय रुपये और यूरो, एसडीआर(मुद्राकोष की मुद्रा) एवं पाउंड स्टर्लिंग जैसी प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर का मूल्य गिरने की वजह से कर्ज के मूल्याकंन में 6.8 अरब डॉलर की कमी आयी।”
रिजर्व बैंक ने कहा, “मूल्यांकन प्रभाव को हटा दिया जाए तो मार्च 2020 की तुलना में मार्च 2021 में विदेशी कर्ज भार में वृद्धि 11.5 अरब डॉलर के मुकाबले 4.77 अरब डॉलर होती।”
विदेशी रिण में विदेशों से लिया गया वाणिज्यिक रिण का हिस्सा सबसे ज्यादा (37.4 प्रतिशत) है। इसके बाद प्रवासी जमा धन (24.9 प्रतिशत) और अल्पकालीन व्यापार रिण (17.1 प्रतिशत) आते हैं।
अमेरिकी डॉलर के वर्चस्व वाला रिण भारत के विदेशी कर्ज का सबसे बड़ा घटक बना रहा। इसकी हिस्सेदारी 52.1 प्रतिशत थी। इसके बाद भारतीय रुपया (33.3 प्रतिशत), जापानी येन (5.8 प्रतिशत), एसडीआर- (4.4 प्रतिशत) और यूरो रिण (3.5 प्रतिशत) आते हैं।
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