बिहार की नीतीश कुमार सरकार को बड़ा झटका लगा है। बिहार सरकार के समाज कल्याण मंत्री मदन साहनी ने इस्तीफे की पेशकश कर दी है। साहनी ने नौकरशाही से नाराजगी जाहिर करते हुए इस्तीफा देने की बात कही है। मदन साहनी ने कहा कि घर और गाड़ी लेकर क्या करूंगा जब जनता की सेवा ही नहीं कर पा रहा हूं। जब अधिकारी मेरी सुनेंगे ही नहीं तो जनता की सेवा कैसे करूंगा। अगर जनता का काम नहीं कर सकता तो मंत्री बने रहने का कोई मतलब नहीं है। कहा कि कैबिनेट का निर्णय है कि 30 जून तक ट्रांसफर होना है, लेकिन तीन दिनों से अधिकारी फाइल दबाए हुए हैं।
मदन साहनी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि हम लोग बरसों से तानाशाही झेल रहे हैं, यातना झेल रहे हैं लेकिन अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है। साहनी ने कहा कि इसलिए अब हमने मन बना लिया है कि हम अब इस्तीफा दे देंगे। उन्होंने आगे कहा कि जब हम किसी का भला नहीं कर सकते है तो हम केवल सुविधा लेने के लिए नहीं बैठे हैं। पार्टी से इस्तीफा देने के सवाल पर सहानी ने कहा कि पार्टी में बने रहेंगे और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में भी रहेंगे।
अपर मुख्य सचिव अतुल प्रसाद पर मनमानी का आरोप लगाया
मदन साहनी ने विभाग के अपर मुख्य सचिव अतुल प्रसाद पर मनमानी का आरोप लगाया। साहनी ने कहा कि विभाग में मंत्रियों की कोई नहीं सुनता है। सारे नियम-कानून की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। समाज कल्याण विभाग में सालों से कई अधिकारी जमे हुए हैं और मनमाना काम कर रहे हैं। इसे हटाने की जब बात कही तो विभाग के अपर मुख्य सचिव ने सुनने से इनकार कर दिया। मंत्री ने कहा कि यह सिर्फ मेरी हालत नहीं है बल्कि बिहार में किसी भी मंत्री की कोई अधिकारी नहीं सुनता है। यह सबको पता है कि जून महीने में वैसे पदाधिकारी जो 3 साल से एक ही जगह पर पदस्थापित हैं, उनका ट्रांसफर होता है। हमने उन सभी अधिकारियों की लिस्ट अपर मुख्य सचिव के सामने रखी पर उसको देखने वाला कोई नहीं है।
उधर, समाज कल्याण विभाग के अपर मुख्य सचिव अतुल प्रसाद ने कहा कि मैं 27 जून तक 15 दिनों की छुट्टी पर था। 28 को कार्यालय पहुंचा। 30 जून को ट्रांसफर के जितने भी फाइल आए, उसके संबंध में निर्णय लेकर विभागीय वेबसाइट पर आदेश जारी किया जा चुका है। ऐसे में फाइल दबाए रखने की बात कहां है।
पिछड़ा होने पर प्रताड़ना का आरोप लगाया
समाज कल्याण मंत्री ने इस्तीफे की पेशकश करते हुए कहां कि पिछड़ा वर्ग के आने के कारण हमें दबाया जाता है और कोई बात नहीं सुनता। अगर मंत्री की भी बात सरकार में नहीं सुनी जाएगी तो ऐसी हालत में मंत्री पद पर रह कर क्या फायदा? मदन सहनी ने आरोप लगाते हुए यह भी कहा यह पहली बार नहीं है। पिछली बार भी ऐसे ही मुझे दबाया गया था, पर सुनने वाला कोई नहीं था। बर्दाश्त की भी एक सीमा होती है। अब इस्तीफे के अलावा मेरे पास और कोई चारा नहीं बचा है।
बीजेपी नेता ने भी लगाए थे आरोप
बिहार में विभागों के अंतर्गत अधिकारियों के ट्रांसफर पोस्टिंग पर कई बड़े सवाल खड़े हो रहे हैं। मदन सहनी से पहले बीजेपी के नेता ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू ने भी अपने ही सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि कई लोग हैं जो पैसे लेकर ट्रांसफर-पोस्टिंग करते हैं जिस बात की जांच होनी चाहिए. उन्होंने तो कुछ संबंधित मंत्रियों के घरों पर रेड डालने के लिए सीएम नीतीश के सामने अपनी मांग भी रख दी है।