छत्तीसगढ़ का दूसरा सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर है। एयर पॉल्यूशन की वेबसाइट पर जारी रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार बिलासपुर की हवा माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर है। इसकी वजह से भी शहर में सांस की बीमारी का ग्राफ बढ़ता जा रहा है।
पर्यावरण विशेषज्ञ शहर की सड़कों पर फैली गंदगी, आसपास जलाए जा रहे कचरे और वाहनों से निकलने वाले धुएं को प्रदूषण का कारण मान रहे हैं। जांजगीर-चांपा प्रदेश का सबसे ज्यादा वायु प्रदूषित शहर घोषित किया गया है।प्रदूषित शहरों में कबीरधाम तीसरे और कोरबा चौथे नंबर पर है। प्रदेश की राजधानी रायपुर और दुर्ग की हालत इन शहरों से ठीक है। दुर्ग छठवें और रायपुर 9वें स्थान पर है। बीजापुर की हालत अच्छी है। यहां स्वच्छ हवा चल रही है। एयर पॉल्यूशन ने अपनी वेबसाइट में बताया है कि वायु प्रदूषण एक वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात स्थिति है।
बिलासपुर सहित प्रदेश के दो करोड़ 55 लाख 45 हजार 198 लोग जहरीली हवा में सांस ले रहे हैं। जो डब्ल्यूएचओ के स्वच्छ हवा दिशा-निर्देशों को पूरा नहीं करता है। छत्तीसगढ़ में सबसे खराब वायु प्रदूषण वाला जिला जांजगीर-चांपा माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर पाया गया है।
डॉक्टर अखिलेश देवरस का कहना है कि वायु प्रदूषण मानव शरीर के हर अंग और लगभग हर कोशिका को नुकसान पहुंचा सकता है।बच्चे भी अस्थमेटिक हो रहे हैं। श्वांस से संबंधित सभी बीमारियां प्रदूषण से होती हैं। धूल, धुआं, वाहनों से फैलने वाला प्रदूषण हानिकारक है। 5 एमएम माइक्रोन से कम धूल हमारी सांस नली में जाती है जिससे दमा, अस्थमा, सीओपीडी और सिलिकोसिस नाम की बीमारी का जन्म होता है।
सिम्स के आंकड़ों के मुताबिक पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष 6 फीसदी टीबी, 39 फीसदी अस्थमा और 28 फीसदी एलर्जी के मरीज बढ़े हैं। जनवरी से जून तक टीबी के 1920 मरीज इलाज कराने सिम्स पहुंचे। 1450 मरीज अस्थमा का इलाज कराने पहुंचे। 1020 लोगों को एलर्जी हुई। पिछले वर्ष की बात करें तो जनवरी से जून 2020 में अस्थमा का इलाज कराने 950 मरीज आए थे। 2020 के पूरे साल में टीबी के 2653 और अस्थमा के 1064 पीड़ित सामने आए थे।