चिराग पासवान मोदी मंत्रिमंडल विस्तार से पहले चाचा पशुपति कुमार पारस के मंत्री बनाए जाने के सवालों का जवाब दे रहे थे। उसी दौरान उन्होंने जनता दल यूनाइटेड यानी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू में मंत्रिमंडल विस्तार के बाद टूट की भविष्यवाणी की थी। अब पारस भी मंत्री बन चुके हैं और जेडीयू अध्यक्ष आरपीसी सिंह। और इसके साथ ही जेडीयू में कलह के संकेत दिखाई दे रहे हैं।
दरअसल, जेडीयू से ललन सिंह और आरपीसी सिंह को मोदी मंत्रिमंडल में कम से कम दो सीटें मिलने की अटकलें थी। लेकिन, इस बार भी जेडीयू को सिर्फ एक सीट से ही संतोष करना पड़ा है और ललन सिंह खाली हाथ रह गए। 2019 में भी जेडीयू को मात्र एक सीट का ऑफर किया गया था, जिसे उस वक्त के राष्ट्रीय अध्यक्ष और राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ठुकरा दिया था। लेकिन, अभी राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वयं आरपीसी सिंह हैं।
टूट के संकेत इस बात से भी दिखाई दे रहे हैं कि उपेंद्र कुशवाह की पार्टी रालोसपा का जेडीयू में विलय कराने के पीछे अहम भूमिका निभाने वाले ललन सिंह और कुशवाहा की बीते दिनों बंद दरवाजे में करीब एक घंटे से अधिक समय तक बातचीत हुई। वहीं, अब ललन सिंह का बयान सामने आया है। ललन सिंह ने कहा है कि उस वक्त राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार थे। इसलिए उन्होंने पार्टी नेताओं से बातचीत के बाद फैसला ठुकरा दिया। जबकि इस वक्त पार्टी के अध्यक्ष आरपीसी सिंह हैं और उन्होंने ये निर्णय लिया है। आगे जब उनसे पूछा गया कि क्या इस बार नेताओं से चर्चा नहीं की गई तो ललन सिंह ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
पिछले दिनों आउटलुक से बातचीत में वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक मणिकांत ठाकुर ने पहले ही कह दिया था कि नीतीश इसका ठिकड़ा आरपीसी सिंह पर फोड़ेंगे। ठाकुर ने कहा था, “वो कहेंगे जब मैं राष्ट्रीय अध्यक्ष था तो हमने इसे स्वीकार नहीं किया। इस बार निर्णय लेने के लिए सिंह अधिकृत थे।”
वहीं, शुक्रवार को जेडीयू के मुख्य प्रवक्ता संजय सिंह को हटा दिया गया है। अब उनकी जगह नीरज कुमार को जगह दी गई है। ये फेरबदल मंत्रिमंडल विस्तार के बाद किया गया है। नीरज कुमार को ललन सिंह और नीतीश कुमार का करीबी माना जाता है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या दोनों के बीच तालमेल बैठाने के लिए नीरज कुमार को जिम्मेदारी सौंपी गई है।
हालांकि, वरिष्ठ पत्रकार मणिकांत ठाकुर इस बात को दोहार चुके हैं कि “नीतीश राजनीति में माहिर खिलाड़ी हैं। वो धीरे-धीरे अपनी पार्टी को मजबूत करने में जुटे हुए हैं।” लेकिन, इस वक्त जिस तरह की स्थिति जेडीयू के भीतर पनपती दिखाई दे रही है, उससे कलह के संकेत स्पष्ट हैं। क्योंकि, आरपीसी सिंह को मंत्री बनाए जाने के बाद जब जेडीयू के एक वरिष्ठ नेता से ये पूछा गया कि क्या सिंह अध्यक्ष पद से इस्तीफा देंगे क्योंकि, नीतीश कुमार कहते हैं एक व्यक्ति-एक पद। इस पर नेता ने जवाब दिया कि अगले तीन साल तक सिंह ही अध्यक्ष रहेंगे। जबकि उपेंद्र कुशवाह की मंशा जताई जा रही है कि वो अध्यक्ष बनने की जुगत में हैं। फिलहाल वो जेडीयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष हैं।