छत्तीसगढ़ में कर्मचारियों के सामान्य तबादलों पर लगी रोक आगे भी जारी रह सकती है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बुधवार को कहा कि कोरोना काल में कर्मचारियों के एक मुश्त तबादले संभव नहीं हैं। ऐसे में प्रदेश की तबादला नीति आने की संभावनाएं फिलहाल खत्म हो गई हैं।
रायपुर में पत्रकारों से चर्चा में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, ‘समन्वय के माध्यम से कर्मचारियों का तबादला हो रहा है। लेकिन कोरोना की वजह से व्यापक ट्रांसफर करना उचित भी नहीं होगा।’ प्रदेश में सामान्य तौर पर जून-जुलाई में तबादला नीति जारी होती है। इसके तहत एक-डेढ़ महीने के भीतर विभागों में व्यापक स्तर पर तबादला होता है। इसमें जिलों के भीतर से अंतर जिला तबादले तक शामिल होते हैं। इसमें प्रशासनिक, स्वयं के व्यय पर और समन्वय से तबादले तीनों शामिल होते हैं।
कर्मचारी संगठन ने की है तबादला नीति की मांग
कोरोना काल की वजह से वित्त विभाग ने पिछले वर्ष ही व्यापक तबादलों पर रोक लगाने का प्रस्ताव दिया था, जिसे सरकार ने स्वीकार कर लिया। कर्मचारी संगठन इस वर्ष तबादला नीति की मांग कर रहे थे। प्रशासनिक स्तर पर चर्चा थी कि खुद के व्यय पर कर्मचारियों के स्थानांतरण को मंजूरी दी जा सकती है। कई कर्मचारी संगठन भी इस प्रस्ताव का समर्थन करने को तैयार थे। लेकिन आज मुख्यमंत्री ने साफ कर दिया कि व्यापक ट्रांसफर की नीति फिलहाल तो जारी नहीं हो रही है।
मध्य प्रदेश में शुरू हो गए तबादले
बताया जा रहा है कि मध्य प्रदेश सरकार ने पिछले महीने अपनी तबादला नीति जारी की है। इसके तहत एक जुलाई से वहां स्थानांतरण की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। छत्तीसगढ़ सरकार भी अधिकतर प्रशासनिक और विधायी कामकाज में मध्य प्रदेश की नीतियों का ही अनुसरण करती रही है, ऐसे में कर्मचारी संगठनों को उम्मीद थी कि यहां भी जल्दी ही तबादले शुरू हो जाएंगे।
2019 में आई थी आखिरी तबादला नीति
छत्तीसगढ़ की आखिरी तबादला नीति 2019 में आई थी। इसमें तृतीय तथा चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के स्थानांतरण जिले के प्रभारी मंत्री के अनुमोदन से कलेक्टर द्वारा करने का प्रावधान था। स्थानांतरण के लिए आवेदन 15 जून से 25 जुलाई तक संबंधित विभागों के जिला स्तरीय अधिकारियों के कार्यालयों को दिए जाने थे। तय हुआ था कि तृतीय श्रेणी कर्मचारियों के मामले में उनके संवर्ग में कार्यरत कर्मचारियों की कुल संख्या के अधिकतम 10 प्रतिशत और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के मामलों में अधिकतम पांच प्रतिशत तक स्थानांतरण किए जा सकेंगे। परस्पर सहमति से स्वयं के व्यय पर किए गए तबादलों की गणना इस सीमा के लिए नहीं की जाएगी।