हमारे सौरमंडल (Solar System) के इतिहास के एक नए शोध में वैज्ञानिकों ने पुरातन उल्कापिंड (Ancient Meteorites) से नई जानकारियां हासिल की है. पुरातन सौरमंडल में धूल और बादलों की एक डिस्क (Proto planetary Disc) का अस्तित्व हुआ करता था जो सूर्य का चक्कर लगाती थी. इसी डिस्क की सामग्री से आज के ग्रहों को निर्माण हुआ. लेकिन इस विश्लेषण में पाया गया है कि आज से 4.657 अरब साल पहले इस डिस्क के अंदर भी एक खाली स्थान था जहां आज क्षुद्रग्रह की पट्टी पाई जाती है. एमआईटी के शोधकर्ताओं के मुताबिक पिछले एक दशक के अवलोकनों से पता चला है कि इस तरह का खालीस्थान या छल्ला युवा तारों में की डिस्क में आम बात है.
एमआईटी की टीम के ये नतीज साइंस एडवांस में प्रकाशित हुए हैं इस खाली स्थान (Gap in the disc) के सीधे संकेतों का मिलना बताते हैं. वैसे तो हमारे सौरमंडल (Solar System) में इस तरह के खाली स्थान होने की वजह भी अभी रहस्य ही है, इसकी एक संभावित व्याख्या यह है कि ऐसा गुरु ग्रह (Jupiter) के प्रभाव से हुआ होगा जिसके विशाल गुरुत्व के कारण गैस और धूल का कुछ हिस्सा बाहर की ओर खिंच गया होगा और यह खाली जगह बन गई होगी. एक अन्य व्याख्या का संबंध उन हवाओं से हो सकता है जो डिस्क की सतह पर शक्तिशाली मैग्नेटिक फील्ड के धूल और गैस की अंतरक्रिया से बनी होंगीं . इन्हीं हवाओं ने सामग्री को बाहर ले जाकर बहुत सी खाली जगह बना दी होगी.
बहराल उत्पत्ति की वजह जो भी हो, सौरमंडल (Solar System) में बने इस खाली स्थान (Gap in the disc) ने एक तरह की दीवार का काम किया होगा. जिसके दोनों तरफ के पदार्थों के बीच किसी तरह की अंतरक्रिया नहीं हो पाई होगी. इस भौतिक अलगाव से सौरमंडल के ग्रहों की संरचना को भी आकार मिला होगा. इससे अंदर के पृथ्वी और मंगल जैसे ग्रह पथरीले ग्रह बने तो बाहरी हिस्से में गुरु जैसे गैसीय ग्रहों का निर्माण हुआ होगा.
पिछले एक दशक से वैज्ञानिको ने पृथ्वी पर आए उल्कापिंडों (Meteorites) की संरचनाओं में बहुत ही दिलचस्प विभाजन देखा है. ये उल्कापिंड अलग अलग समय और स्थानों पर बने, लेकिन ये उसी दौरान बने जब सौरमंडल का निर्माण हो रहा था. जितने भी उल्कापिंडों का विश्लेषण हुआ, उसमें दो आइसोटोप के संयोजनों में से एक ही पाया गया. वहीं दोनों ही तरह के संयोजन का मिश्रण बहुत ही कम मिला जिसे आसोटोपिक द्विभाजन (isotopic dichotomy) कहते हैं. यह द्विभाजन शुरुआती सौरमंडल की डिस्क में इसी खाली स्थान (Gap in the disc) की वजह से हुआ होगा. लेकिन इस अंतराल का सीधा प्रमाण नहीं मिला. जब युवा ग्रह तंत्र आकार ले रहा था, तब उसके मैग्नटिक फील्ड का असर उस धूल के कणों या कॉन्डरूल्स (Chondrules) पर पड़ा जिनसे ग्रह बने.