तेल वायदा (Oil futures) में सोमवार को नरमी देखी गई. यह नरमी, दरअसल दुनियाभर में कोरोनावायरस के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन (Omicron variant) के बढ़ते हुए केसों की चिंताओं के वजह से मानी जा रही है. समझा जा रहा है कि कोरोना के बढ़ते प्रकोप के चलते कच्चे तेल की मांग कम हो सकती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) के अनुसार, 60 से अधिक देशों में रिपोर्ट किए गए ओमिक्रॉन वेरिएंट में जोखिम “Very High” श्रेणी के हैं.
ब्रेंट फ्यूचर्स (Brent futures) 76 सेंट अथवा 1.0% गिरकर 74.39 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया, जबकि यूएस वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (WTI) क्रूड 38 सेंट अथवा 0.5% गिरकर 71.29 डॉलर पर आ गया.
भारत में घटेंगे पेट्रोल-डीजल के दाम?
विश्व स्तर पर यदि क्रूड ऑयल की कीमतों में कमी आती है तो क्या भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कटौती होगी? इस सवाल का जवाब हां या ना में नहीं दिया जा सकता, क्योंकि पहले भी जब क्रूड ऑयल काफी सस्ता था, तब भी भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमत में कमी नहीं आई थी. हालांकि पिछले महीने ही सरकार ने टैक्स कम करते हुए लोगों को राहत जरूर दी है.
पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन ने 2022 की पहली तिमाही के लिए अपनी वैश्विक तेल मांग का पूर्वानुमान बढ़ाया था, लेकिन अब अपने पूरे साल के विकास की भविष्यवाणी को स्थिर रखते हुए कहा कि ओमिक्रॉन का प्रभाव हल्का होगा, क्योंकि दुनिया COVID-19 से निपटने की आदी हो जाएगी.
चीन में क्रूड ऑयल की मांग घटी तो…
हाल ही में, ब्रिटेन और नॉर्वे सहित दुनियाभर की सरकारें ओमिक्रॉन के प्रसार को रोकने के लिए प्रतिबंधों को कड़ा कर रही हैं. ब्रिटेन में ओमिक्रॉन से प्रभावित कम से कम एक व्यक्ति की मृत्यु हो गई है.
चीन का एक बड़ा मेन्युफेक्चरिंग प्रांत, झेजियांग (Zhejiang), इस समय अपने पहले COVID-19 क्लस्टर से जूझ रहा था, जिसमें सैकड़ों हजारों नागरिकों को क्वारन्टाइन किया गया है.
न्यूयॉर्क के मिजुहो में एनर्जी फ्यूचर्स के निदेशक बॉब यॉगर (Bob Yawger) ने कहा, “चीन कच्चे तेल का दुनिया का सबसे बड़ा आयातक है, और अगर कोविड दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश में फैलता है, तो वे बैरल दबाव में आ सकते हैं।”